केन्द्रीय बजट Union Budget 2020-21 की पूरी जानकारी हिंदी में | Union Budget 2020-21 in Hindi PDF Download -Hello दोस्तों SarkariExamHelp में आपका स्वागत है. आज हम आपके लिए कुछ खास जानकारी लेकर आये है. ये जानकारी हमारी सरकार और सरकार द्वारा पेश किये गए Union Budget 2020-21 in Hindi से जुडी है. जो हम आम आदमी को सीधे तौर पर प्रभावित करती है. कर क्या होता है? बजट क्या है? हमारे देश के वित्रमंत्री द्वारा इस साल का बजट 2020-21 में क्या-क्या पेश किया गया है? आम जनता को बजट कैसे प्रभावित करती हैं.? वित्तमंत्री द्वारा क्या महत्वपूर्ण बातें घोषित की गयी हैं? ये सब जानकारी आज के हमारे पोस्ट के द्वारा उपलब्ध की गयी है.
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जाने बजट 2020-21 हिंदी में | Know BUDGET 2020-21 in Hindi
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2020 को मोदी सरकार का पहला बजट 2020-21 पेश कर रही है | इसे ‘न्यू इंडिया’ का बजट कहा है, जिसके जरिए मोदी सरकार की अर्थव्यवस्था को गति तेज करने के उपाय करती है। इस बजट पर कॉरर्पोरेट-उद्योग जगत की नजर तो है ही, सबसे ज्यादा नजर आम आदमी पर है जो बेरोजगारी और आमदनी ना बढ़ने से परेशान है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण को समझने के लिए सभी आम जनता जिन्हें बजट क्या है समझना होगा।
उन्होंने कहा कि यह बजट आम आदमी की आय सुनिश्चित करने और उनकी क्रय शक्ति को बढ़ाने के प्रति संकल्पित है। उनके मुताबिक इस बार के बजट में सरकार ने किसानों पर फोकस किया है। एलआईसी (LIC) में अपना बड़ी हिस्सेदारी बेचने की घोषणा की है।यह भी उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के परिणाम शानदार रहे हैं। किसी भी स्तर की शिक्षा में अब लड़कियों के नामांकन का अनुपात पुरुषों से ज्यादा है एवं नरेंद्र मोदी सरकार देश को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए प्रतिबंध है।
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हमारा वतन खिलते हुए शालीमार जैसा, हमारा वतन डल लेक में खिलते कमल जैसा है। वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने संसद में केंद्रीय बजट 2020 पेश किए जाने से पहले कहा है कि- मोदी सरकार सबका साथ सबका विकास में यकीन करती है।
जाने बजट 2020 क्या है?
टैक्स : TAX
टेक्स दो प्रकार के होते हैं, प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर। वह टैक्स जिसे आप से सीधे तौर पर वसूला जाता है, जैसे इनकम टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स, शेयर या दूसरी संपत्तियों से आय पर कर, प्रॉपर्टी टैक्स आदि डायरेक्ट या प्रत्यक्ष टैक्स कहलाते हैं।
सरकार अपने खर्चों को पूरा करने के लिए आमदनी टैक्स से करती है। यह एक प्रकार का अनिवार्य भुगतान है, जिसे हर आदमी सरकार को देता है। दूसरी तरफ वह टैक्स जिसे सीधा जनता से नहीं लिया जाता किंतु जिसका बोझ आखिरकार जनता पर पड़ता है, उसे अप्रत्यक्ष कर कहते हैं। जैसे देश में तैयार की गई वस्तु पर लगने वाला उत्पाद शुल्क एक्साइज वस्तुओं पर लगने वाले सीमा शुल्क, कस्टम सर्विस टैक्स आदि अप्रत्यक्ष कर है।
उपकर और अधिभार : CESS AND SURCHARGE
सामान्यतः इसे इनकम टैक्स के ऊपर लगाया जाता है। अधिभार या सर चार्ज कर के ऊपर लगाने वाला कर है, जिसकी गणना कर दायित्व के आधार पर की जाती है। सेस या उपकर किसी टैक्स के साथ किसी विशेष उदेश्य के लिए धन इकट्ठा करने के लिए कर आधार टैक्स पर ही लगाया जाता है। जैसे स्वच्छता भारत सेस , कृषि कल्याण सेस , स्वच्छ पर्यावरण सेस आदि।
आयकर : INCOME TAX
निवेश और उस पर मिलने वाले ब्याज पर लगता है। यह हमारी आय के स्रोत जैसे की आमदनी।
उत्पाद शुल्क : EXCISE DUTIES
एक्साइज ड्यूटी को अब जीएसटी में शामिल कर लिया गया है। इस तरह से माचिस से लेकर कार तक जो भी समान कोई व्यक्ति खरीदता है, उस पर सरकार टैक्स वसूलती है। देश की सीमा के भीतर बनने वाले सभी उत्पादों पर लगने वाले टैक्स को उत्पाद शुल्क कहते हैं।
कॉरपोरेट टैक्स : CORPORATE TAX
कारपोरेट टैक्स जिसके जरिए सरकार को आमदनी होती है। यह टैक्स कारपोरेट कंपनियों या फर्मो पर लगाया जाता है।
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वित्तीय वर्ष : FINANCIAL YEAR
ऐसी मांग उठ रही है कि वित्तीय वर्ष को जनवरी से दिसंबर तक किया जाए, जैसा कि कई देशों में है लेकिन अभी इसे माना नहीं गया है। भारत में वित्तीय वर्ष की शुरुआत 1 अप्रैल से होती है और यह अगले साल के 31 मार्च तक चलता है। इस साल का बजट वित्तीय वर्ष 2020 -21 के लिए होगा जो 1 अप्रैल से 2020 से 31 मार्च 2021 तक के लिए होगा।
सीमा शुल्क : CUSTOMS DUTIES
जो देश से आयात की जाती है या फिर देश से बाहर निर्यात की जाती है। सीमा शुल्क उन वस्तुओं पर लगता है।
सकल घरेलू उत्पाद: G.D.P.
भारत की जीडीपी वृद्धि दर इस वित्त वर्ष में 5 फ़ीसदी के आसपास रह सकती है। इसे एक तरह से पूरी अर्थव्यवस्था का आकार मानते हैं और इसमें बढ़त की दर को ही अर्थव्यवस्था की तरक्की की दर मानी जाती है।
सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी एक वित्तीय वर्ष में देश की सीमा के भीतर उत्पादित कुल वस्तुओं और सेवाओं का कुल जोड़ होता है।
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राजकोषीय नीति और राजकोषीय घाटा : FISCAL POLICY AND FISCAL DEFICIT
सरकार की कुल सालाना आमदनी के मुकाबले जब खर्च अधिक होता है तो उसे राजकोषीय घाटा कहते हैं। चूँकि बजट घाटा सही तरीके से सरकार के ऋण दायित्वों की जानकारी नहीं देता है, इसलिए राजकोषीय घाटे की व्यवस्था लाई गई। इसे कुछ लोग वित्तीय घाटा भी कहते हैं।
यह एक ऐसी नीति होती है कि जो कि सरकार की आय, सार्वजनिक व्यय रक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, सड़क, रेलवे आदि टैक्स की दरों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सार्वजनिक ऋण, घाटे की वित्त व्यवस्था से संबंधित होती है।
सब्सिडी : SUBSIDIES
कंपनियों को सब्सिडी टैक्स छूट के तौर पर दी जाती है ताकि औद्योगिक गतिविधियां बढ़े और रोजगार पैदा हो। आर्थिक असमानता दूर करने के लिए सरकार की ओर से आम लोगों को दिया जाने वाला आर्थिक लाभ सब्सिडी कहा जाता है। जैसे एलपीजी सिलेंडर के गैस भरने वाले गरीबों को सरकार सब्सिडी देकर उसे सस्ता कर देती है।
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यह नगद भी हो सकता है, लेकिन अब ज्यादातर सब्सिडी डीबीटी के द्वारा यानी सीधे लाभार्थी के खाते में डाला जाता है।
बजट घाटा : BUDGETARY DEFICIT
इसमें सरकार की कर्ज देनदारी शामिल नहीं होती। बजटरी घाटा = कुल प्राप्ति – कुल व्यय। बजट घाटा की स्थिति तब पैदा होती है जब खर्चे राजस्व से अधिक हो जाते हैं।
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शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म गेन : SHORT TERM AND LONG TERM GAIN
शेयरों में जो पैसा 1 साल से अधिक समय के लिए होता है उसे “दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (Long Term Capital Gain)” कहते हैं। शेयर बाजार में कोई भी व्यक्ति यदि 1 साल से कम समय के लिए पैसे लगाकर लाभ कमाता है तो उसे “अल्प कालिक पूंजीगत लाभ शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (Short Term Capital Gain)” कहते हैं।
पहले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स नहीं देने का प्रावधान था लेकिन 2018 – 19 के बजट में इस पर 10 फीसदी टैक्स का प्रावधान किया गया। हालांकि यह टैक्स सिर्फ 1 लाख से अधिक की कमाई पर ही देना होता है।
समेकित कोष : CONSOLIDATED FUND
सरकार द्वारा जारी किए गए ट्रेजरी बिल्स और वसूले गए ऋण आदि को शामिल किया जाता है। यह भारत सरकार का वह कोष है जिससे सरकार के समस्त राजस्व प्राप्तियां है।
आकस्मिक कोष : CONTINGENCY FUND
इस फंड पर राज्यों में राज्यपाल और केंद्र के संबंध में राष्ट्रपति का अधिकार रहता है। इस फंड में आकस्मिक व्यय को पूरा करने के लिए एक राशि रखी जाती है। इससे व्यय ऐसे मुद्दों पर किया जाता है जिनको टाला नहीं जा सकता है लेकिन बाद में संसद से अनुमति लेकर संचित निधि से रुपया लेकर इसमें डाल दिया जाता है।
राजस्व प्राप्तियां : REVENUE RECEIPTS
ऐसी इन प्राप्तियां के कारण सरकार की देयता (Liability) में बढ़त नहीं होती है। इनको कर राजस्व (इनकम टैक्स, कारपोरेट टैक्स, जीएसटी) इत्यादि और गैर कर राजस्व (ब्याज फिस , लाभांश) में बांटा जा सकता है।
ऐसी प्राप्तियां जिनके लौटाने का दायित्व सरकार का नहीं होता हो या जिनके साथ किसी संपत्ति की बिक्री नहीं जुड़ी हो राजस्व प्राप्तियां कहलाती आती है।
पूंजीगत प्रतियां : CAPITAL RECEIPTS
जैसे देश के अंदर लिया गया कर्ज, विदेश से लिया गया कर्ज, रिजर्व बैंक से लिया जाने वाला कर्ज आदि। ऐसी सर्वजनिक प्रतियों को पूंजीगत प्राप्ति कहते हैं जिनसे सरकार के देनदारी में बढ़त होती है और सरकार की परिसंपत्तियों में कमी होती है।
राजस्व व्यय : REVENUE EXPENDITURE
जैसे सरकारी विभागों को चलाने में होने वाला खर्च, सरकारी सब्सिडी, कर्ज पर ब्याज की उदायगी, राज्य सरकारों को अनुदान आदि। इसके अंदर उन खर्चो को रखा जाता है जिससे सरकार की ना तो उत्पादन क्षमता का विस्तार होता है और ना ही भविष्य के लिए अधिक अतिरिक्त आय सृजित होती है।
पूंजीगत व्यय : CAPITAL EXPENDITURE
सरकार के उन खर्चों को पूंजीगत व्यय के अंतर्गत रखा जाता है जिससे सरकार की संपत्तियों में बढ़त होती है, जैसे सड़क, स्कूल, अस्पताल, किसी पुराने भवन की मरम्मत आदि।
योजनागत व्यय : PLANNED EXPENDITURE
यह व्यय विभिन्न आर्थिक कल्याणकारी योजनाओं से संबंधित होती है, जैसे स्कूल, सड़क, हॉस्पिटल का निर्माण आदि। उस व्यय को योजनागत व्यय कहां जाता है जिससे उत्पादन परिसंपत्ति (Production Assets) का निर्माण होता है।
गैर योजनागत व्यय : NON-PLAN EXPENDITURE
गैर योजनागत व्यय ऐसा सार्वजनिक व्यय है जिससे कि कोई विकास का काम नहीं होता है, गैर योजनागत व्यय की श्रेणी में गिना जाता है। जैसे रक्षा, पेंशन, महंगाई भत्ता, बाढ़, सूखा, ओला, वृष्टि आदि पर किया गया खर्च इसके लिए धन की व्यवस्था भारत की संचित निधि से होती है।
जाने बजट से जुड़ी हर बात सिर्फ 21 POINTS में
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिनांक 1 फरवरी 2020 को संसद में बजट 2020-21 पेश किया। उन्होंने 3 घंटे लंबा भाषण दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट को अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाला बताया। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट 2020-21 की 21 बड़ी घोषणा।
किसे क्या मिला जानिए बजट 2020-21 की 21 बड़ी घोषणाएं
- सस्ते मकान की खरीद के लिए डेढ़ लाख रुपए की सब्सिडी को 1 साल और बढ़ाया गया है।
- सरकार ने बैंक में फिक्स डिपॉजिट पर इंश्योरेंस की सीमा एक लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दी है मतलब अगर बैंक डूबता है तो बैंक के कस्टमर को 5 लाख तक मिल जाएंगे।
- 7000 किलोमीटर के रेलवे ट्रैक का विधुतीकरण किया जाने की घोषणा की गयी है।
- नई हाई स्पीड ट्रैन के साथ-साथ नई तेजस ट्रैन चलाने का भी एलान हुआ है।
- चार नए रेलवे स्टेशनों का निर्माण पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल से करने की घोषणा हुई है।
- शिक्षा के लिए 99 हजार 300 करोड़ के बजट का आवंटन।
- नेशनल पुलिस यूनिवर्सिटी और नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी बनाने का ऐलान।
- आयुष्मान भारत योजना में अस्पतालों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
- स्वच्छ भारत मिशन के लिए ₹12300 करोड़ आवंटित किये जायेंगे।
- मिशन इंद्रधनुष जो 12 बीमारियों से लड़ता है उसका विस्तार होगा।
- 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य है अभियान का नाम होगा –टीवी हारेगा देश जीतेगा।
- पीएम कुसुम स्कीम के जरिए 20 लाख किसानों को सोलर पंप से जोड़ा जाएगा।
- जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों के परिवहन के लिए ‘किसान रेल और किसान उड़ान योंजना‘।
- 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए 16 सूत्रीय एक्शन प्लान।
- जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों के परिवहन के लिए उड़ान योजना पीएम स्कीम के जरि ए जोड़ा जाएगा।
- बागवानी फसलों के लिए एक जिला एक फसल योजना।
- 1लाख ग्राम पंचायतों तक इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचेगी।
- महिला किसानों के लिए धनलक्ष्मी योजना।
- 5 पुरातत्विक महत्व की जगहों को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जाएगा।
- अगले 3 साल में बिजली ग्राहक को वितरण कंपनी चुनने की आज़ादी मिलने लगेंगे स्मार्ट प्रीपेड मीटर।
- नए संघ शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए 30757 करोड़ रुपए और लद्दाख के विकास के लिए ₹5958 करोड़ की राशि आलोट।
प्रशंसक : मोदी सरकार की बजट: Modi Government Budget 2020 -21 Fans
अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाला बजट :
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा “यह आम लोगों के लिए बजट है इसमें गांव गरीब खेत खलिहान और नौजवान सभी का ध्यान रखा गया हैं। रखा गया है यह देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाला बजट है।
जम्मू कश्मीर को क्या मिला :
पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य से कटकर गठित एक अन्य केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए ₹5958 करोड़ का आवंटन किया गया है। जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख – में बांट दिया था।
गृह मंत्रालय (HOME MINISTRY) को मिले 1. 67 लाख करोड़ रुपए :
केंद्रीय गृह मंत्रालय को अगले वित्त वर्ष के लिए बजट में 1, 67. 250 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। जिसमें पुलिस बलों और जनगणना 2021 से संबंधित कामकाज पर विशेष जोर दिया गया है।
करदाताओं को मिलेगी “अभूतपूर्व” राहत TAX PAYERS WILL GET UNPRECEDENTED RELIEF
- गृह मंत्री अमित शाह ने कहां की केंद्रीय बजट किसानों की आय दोगुनी करने के मोदी सरकार के संकल्प को पूरा करेगा और करदाताओं को अभूतपूर्व रहत देगा।
- केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने बजट की प्रशंसा करते हुए इसे ‘ऐतिहासिक और विकास उन्मुखी‘ बताया है।
- प्रकाश जावेड़कर ने बजट को ऐसे समय “सबसे व्यवहारिक” करार दिया जब विश्व अर्थव्यवस्था चुनौतियों का सामना कर रही है।
INCOME TAX के सरल जवाब :
- 2. 5 लाख से 5 लाख तक की आय पर 12,500 रूपये टैक्स देना होगा।
- 5 लाख से 7.5 लाख रूपये तक की आय पर 20 फ़ीसदी की बजाय 10 फ़ीसदी टैक्स देना होगा।
- आपकी इनकम 10 लाख रूपये सालाना है तो बजट की घोषणा के तहत आपको नए स्लैब के मुताबिक टैक्स देना होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट की प्रशंसा करते हुए इसे ‘विजन और एक्शन से भरपुर’ बताया। “बजट में जिन नए सुधारों का ऐलान किया गया है। वे अर्थव्यवस्था को गति देने, देश के प्रत्येक नागरिक को आर्थिक रूप से सशक्त करने और इस दशक में अर्थव्यवस्था की नींव को मजबूत करने का काम करेंगे।”
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