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Mahashivratri 2021 कब है – सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में

Mahashivratri 2021 in Hindi, Shivratri 2021 Date and Time –  दोस्तों आज SarkariExamHelp आप सभी छात्रों के बीच “महाशिवरात्रि 2020 की सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में” शेयर कर रहे है. आज आप इस लेख के माध्यम से शिवरात्रि 2021 में कब है, पूजन विधि, शिवरात्रि का महत्व आदि की जानकारी पढ़ें को मिलेंगी.

देवों के देव महादेव की आराधना का पर्व महाशिवरात्रि इस बार 11 मार्च 2021 को मनाया जाएगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन सर्वार्थ सिद्ध योग भी बन रहा है. यह योग साधना सिद्ध के लिए खास महत्व रखता है.

यह मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था. फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी अर्थात अमवस्या  से 1 दिन पहले काली रात को महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है.

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अवश्य पढ़ें:

महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त : Auspicious Time Of Mahashivratri

Mahashivratri 2021 सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में
Mahashivratri 2021 सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में

महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त: इस बार महाशिवरात्रि बृहस्पतिवार 11 मार्च को पड़ी है। चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 02:39 PM और इसकी समाप्ति 03:02 PM पर होगी। पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त रात 12:06 से 12:55 तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 48 मिनट की है।

महाशिवरात्रि पर मान्यताएं : Values On Mahashivratri

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में आस्था रखने  वालों एवं भगवान शिव के उपासको का एक मुख्य त्योहार है. मान्यता है कि शिव और माता पार्वती का विवाह भी इसी दिन हुआ था.

मान्यता है कि महाशिवरात्रि की दिन भगवान शिव की पूजा करने व्रत रखने और रात्रि जागरण करने से भगवान शिव की सेवा में दान पुण्य करने व शिव उपासना से उपासक को मोक्ष मिलता है.

पूजा में सामग्री : Material In Worship

मिट्टी के लोटे में पानी या दूध भरकर ऊपर से बेलपत्र, आक – धतूरे के फूल, चावल आदि डालकर (शिवलिंग) पर चढ़ाना चाहिए.अगर आस पास कोई शिव मंदिर नहीं है.तो घर में ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया जाना चाहिए.

  • शिवरात्रि का पूजन ” निशीथ काल” में करना  सर्वश्रेष्ठ रहता है.
  • शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र का शिव के पंचाक्षर मंत्र “ओम नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए.
  • भक्त रात्रि के चारों प्रहरों  में अपनी सुविधा अनुसार यह पूजन कर सकते हैं.

व्रत का आहार

व्रत आहार में सेंधा नमक और काली मिर्च का प्रयोग करें आलू, सिंघाड़ा और साबूदाना भी खा सकते हैं.

शिव जी का अभिषेक : Shiv’s Consecration

दही -दही के अभिषेक से आज्ञाकारी संतान की प्राप्ति होती है.

दूध -जीवन में कष्टों से मुक्ति मिलती है.

शहद – शिव को अति प्रिय वाणी  दोष हर लेते हैं.

घी  -मोक्ष  की प्राप्ति होती है.

पंचामृत -धन व संपत्ति मिलती है.

चंदन -लक्ष्मी  को प्राप्ति होती है.

चावल का आटा -ऋण से मुक्ति होती है. चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ अर्थात स्वयं शिव ही हैं. इस कारण प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महासिक शिवरात्रि के तौर पर मनाया गया है. महाशिवरात्रि के समय सूर्य उत्तरायण हो चुके होते हैं और ऋतु परिवर्तन भी चल रहा होता है. चतुर्दशी तिथि को चंद्रमा अपनी कमजोर स्थिति में हो जाता है.

चंद्रमा को शिव जी ने मस्तक पर धारण किया हुआ है. इसलिए शिवजी के पूजन से व्यक्ति का चंद्रमा सबल होता है.जो मन का उपासक है कारक है. दूसरे शब्दों में कहें तो शिव की आराधना इच्छा शक्ति को मजबूत करती है और अंतःकरण में साहस व दृढ़ता का संचार करती है.

सबसे खास बात यह है कि 59 साल बाद शश योग में यह पर्व मनाया जाएगा. इस दिन शनि व चंद्र, मकर राशि में गुरु, धनु राशि में बुध, कुंभ राशि में तथा शुक्र, शनि राशि में रहेंगे.

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जरुर पढ़ें:

महाशिवरात्रि के दिन इन 5 ज्योतिर्लिंगों का रुद्राभिषेक : Rudrabhishek Of 5 Jyotrilingas On Mahashivratri

  • काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (वाराणसी) सुख समृद्धि और संपदा के लिए महाशिवरात्रि पर  विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग में रुद्राभिषेक.
  • मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश )विवाह संबंधी दोषों को दूर करने के लिए शिवरात्रि पर्व मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में रुद्राभिषेक.
  • ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश) अपार वैभव धन संपदा के लिए महाशिवरात्रि पर ओंकारेश्वर  ज्योतिर्लिंग में रुद्राभिषेक.
  • महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (उज्जैन) लंबी आयु और अच्छी सेहत के लिए इस शिवरात्रि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में रुद्राभिषेक.
  • बाबा बैजनाथ ज्योतिर्लिंग (झारखंड) सारी इच्छाओ  को पूरा करने के लिए इस शिवरात्रि पर बाबा बैजनाथ ज्योतिर्लिंग में रुद्राभिषेक.

महाशिवरात्रि का महत्व : Importance Of Mahashivratri

महाशिवरात्रि आध्यात्मिक पथ पर चलने वाले साधकों के लिए बहुत महत्व रखती है. या उनके लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है जो पारिवारिक परिस्थितियों में है और संसार के महत्वाकांक्षाओं में गगन है.

  • पारिवारिक परिस्थितियों में गगन लोग महाशिवरात्रि को शिव पार्वती के विवाह के उत्सव  की तरह मनाते हैं.
  • सांसारिक महत्वकांक्षाओ  में मग्न लोग महाशिवरात्रि को शिव के द्वार अपने शत्रुओं पर विजय पाने के दिवस के रूप में महाशिरात्रि मनाते हैं.
  • साधकों के लिए  वह दिन है, जिस दिन वे  कैलाश पर्वत के साथ एकात्म हो गए थे. वही दिन महाशिवरात्रि का था.

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