गुरु पूर्णिमा 2021 शनिवार, 24 जुलाई 2021 को मनाई जाएगी। आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा तिथि 23 जुलाई, 2021 को प्रात: 10:43 बजे से शुरू हो रही है और गुरु पूर्णिमा तिथि 24 जुलाई, 2021 को प्रात: 08:06 बजे समाप्त हो रही है।
गुरु पूर्णिमा 2021 तिथि और समय
- गुरु पूर्णिमा 2021 तिथि – शनिवार, 24 जुलाई, 2021
- पूर्णिमा तिथि शुरू – 23 जुलाई, 2021 को सुबह 10:43 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त – 08:06 AM 24 जुलाई, 2021 को
गुरु पूर्णिमा का महत्व
जैसा कि नाम से पता चलता है, गुरु पूर्णिमा गुरु की पूजा के लिए समर्पित दिन है। इस दिन शिष्य अपने गुरु की पूजा करते हैं या अपने गुरुओं को सम्मान देते हैं। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है । आषाढ़ माह की गुरु पूर्णिमा वेद व्यास की जयंती का प्रतीक है।
भारत के उत्तर प्रदेश के सारनाथ में बुद्ध ने अपना पहला प्रवचन दिया था, इस दिन को मनाने के लिए गौतम बुद्ध के सम्मान में बौद्धों द्वारा गुरु पूर्णिमा भी मनाई जाती है
गुरु शब्द का अर्थ | Meaning of the word guru
प्रथम अक्षर ‘गु’ का अर्थ –‘अंधकार’ होता है और दूसरे अक्षर ‘रु’ का अर्थ – उसको हटाने वाला होता है अर्थात ‘अंधकार’ को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को ‘गुरु’ कहा जाता है।
- गुरु वह है जो धर्मका मार्ग दिखाता है।
- गुरु के बताए मार्ग पर चलकर व्यक्ति शान्ति,आनंद और मोक्ष को प्रप्त करता है।
- गुरु ही ईश्वर को प्राप्त करने और इस संसार रुपी भव सागर से निकलने का रास्ता बताते हैं।
- हिंदू धर्म में गुरु और ईश्वर दोनों को एक समान माना गया है।
- गुरु भगवान के समान है और भगवान ही गुरु है।
अपनी अमृतवाणी में संत कबीर दास ने बताई है गुरु की महिमा –
‘’गुरु गोविंद दोनों खड़े,काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु आपने,गोविंद दियो बताय’’।।
अर्थात
गुरु और गोविंद (भगवान) एक साथ खड़े हों तो किसे प्रणाम करना चाहिए,गुरु को अथवा गोविंद को ? ऐसी स्थिति में गुरु के श्री चरण में शीश झुकाना उत्तम है जिनके कृपा रुपी प्रसाद से गोविंद का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
संस्कृत के प्रसिध्द श्लोक में गुरु को परमब्रम्हा बताया गया है—
‘’गुरुर्ब्रम्हा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रम्हा तस्मै श्री गुरवे नमः’’।।
अर्थात
गुरु को ही ईश्वर के विभिन्न रुपों- ब्रम्हा,विष्णु एवं महेश्वर के रुप में स्वीकार किया गया है।
- गुरु को ब्रम्हा कहा गया क्योंकि वह शिष्य को बनाता है नव जन्म देता है।
- गुरु,विष्णु भी है क्योंकि वह शिष्य की रक्षा करता है।
- गुरु,साक्षात महेश्वर भी है क्योंकि वह शिष्य के सभी दोषों का संहार भी करता है।
शास्त्रों और पुराणों में कहा गया है कि अगर भक्त से भगवान नाराज हो जाते हैं तो गुरु ही रक्षा और उपाय बताते हैं।
गुरु पूर्णिमा का महत्व | importance of guru purnima
देश में गुरु पूर्णिमा का बहुत ही महत्व है।भारत ऋषियों और मुनियों का देश है जहां पर इनकी उतनी ही पूजा होती है जितना भगवान कीमहर्षि वेदव्यास प्रथम विव्दान थे,जिन्होंने सनातन धर्म के चारों वेदों की व्याख्या की थी।वेदव्यास संस्कृत के महान ज्ञाता थे।सभी 18 पुराणों के रचयिता भी महर्षि वेदव्यास को माना जाता है।इसी कारण इनका नाम वेदव्यास पड़ा था।वेदों को विभाजित करने का श्रेय भी वेदव्यास को दिया जाता है।महर्षि व्यास ने वेदों को अलग-अलग खण्डों में बांटकर उनका नाम –
- ऋग्वेद
- यजुर्वेद
- सामवेद और
- अर्थवेद रखा
वेंदों का इस प्रकार विभाजन करने के कारण ही वे वेदव्यास के नाम से प्रसिध्द हुए इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
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गुरु पूर्णिमा आषाढ़ पूर्णिमा को मनाते है | Guru Purnima celebrated Ashadha Purnima
आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं इस दिन गुरु पूजा का विधान है।गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है।इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं।इस साल यह पर्व 05 जुलाई 2020 को मनाया जाएगा।इस बार आषाढ़ी पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण भी लग रहा है।
गुरु पूर्णिमा इस तरह मनाते है how Guru Purnima is celebrated|
- शास्त्रों में गुरु को परम पूजनीय माना गया है।
- इस दिन गुरुओं का आर्शीवाद लेने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
- जिन लोगों के गुरु अब इस दुनिया में नहीं रहे वे लोग भी गुरुओं की चरण पादुका का पूजन करते हैं।
- गुरुपूर्णिमा पर लोग अपने गुरुओं को उपहार देते हैं और उनका आर्शीवाद लेते हैं।
- गुरु की हमारे जीवन में कितना महत्व है यह समझाने के लिए गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं
By SarkariExamHelp
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