27th July 2021 Death Anniversary of former President of the country APJ Abdul Kalam – एपीजे अब्दुल कलाम एक जाने माने वैज्ञानिक, अभियंता(इंजीनियर) और शिक्षक थे. वर्ष 2015 में 27 जुलाई के दिन भारतीय प्रबंधन संस्थान(आईआईएम) शिलौंग में “रहने योग्य ग्रह” विषय पर एक व्याख्यान के दौरान दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था. एपीजे अब्दुल कलाम दुनिया छोड़ गए, 2020 तक भारत को आर्थिक रुप से समृध्द बनाने का सपना देखने वाले कर्मवीर योध्दा मरते दम तक देश के लिए काम करते रहे. देश के पूर्व राष्ट्रपति मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम का देश हमेशा आभारी रहेगा.
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Hard Working Personality
- एपीजे अब्दुल कलाम देश के राष्ट्रपति रहे.
- एक महान शिक्षक बने.
- महान विचारक रहे.
- अच्छे लेखक रहे.
- एक महान वैज्ञानिक भी रहे.
- हर क्षेत्र में इनका अहम योगदान रहा.
- ख्वाब देखिए ख्वाब पूरे जरुर होते है.।
- परिस्थितियां कैसी भी रहे, ख्वाब को नही छोड़ना चाहिए.
“ख्वाब वह नहीं होते जो हम सोते में देखते हैं, बल्कि ख्वाब वह होते हैं जो हमें सोने ही न दें”
संर्घष से सफलता की ओर का समयः
एपीजे अब्दुल कलाम का परिवार नाव बनाने का काम करता था. उनका जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम में 15 अक्टुबर को हुआ था. उनकेपिता नाव मछुआरों को किराए पर दिया करते थे. उस वक्त परिस्थितियां इतनी अच्छी नहीं थी. वे अपने बड़े भाई की दुकान पर भी बैठते थे. अब्दुल कलाम ने अपने पिता से बाहर जाकर पढ़ाई करने की बात कही तो उन्होनें मना नही किया और वे 1950 में इंटरमीडिएट की पढ़ाई त्रिची के सेंट जोसेफ कॉलेज में दाखिला लिया.
अब्दुल कलाम की शिक्षाः Education of Abdul Kalam
- सेंट जोसेफ कॉलेज में – बीएससी.
- मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग कॉलेज में – एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग.
- एअरफोर्स में – पायलट, लेकिन पायलट नही बन पाये.
- दिल्ली में वे वैज्ञानिक के पद पर कार्य किये.
- स्वदेशी हावर क्राफ्ट में पहली उडान भरी.
नाइक अपाचीः Nike Apache
- अब्दुल कलाम नासा गए फिर भारत के सबसे पहले उपग्रह “नाइक अपाची” ने उड़ान भरी.
- रोहीणी रॉकेट ने उड़ान भरी और स्वदेशी रॉकेट के दम पर भारत की पहचान पूरी दुनिया मे बनाई.
Sensitive Main Events of APJ Abdul kalam
एक बार मां को पिता से जली रोटी के लिए माफी मांगते सुना – तो पिता ने कहा मुझे जली रोटियां पसंद है. अब्दुल कलाम ने पिता से पूछने पर उन्होनें उत्तर दिया – जली रोटियां किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती हैं, कड़वे शब्द जरुर नुकसान पहुंचाते हैं, हमेशा रिश्तों में एक दूसरे की गलतियों को प्यार से लो और जो तुम्हे नापसंद करते हैं, उनके लिए संवेदना रखो.
अब्दुल कलाम में सबसे बड़ी खूबी ये थी कि वे अपने किसी प्रशंसक को नाराज नहीं करते, एक बार IIM अहमदाबाद के एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनकर गए थे. कार्यक्रम से पहले ही छात्रों ने उनके साथ तस्वीरें खिंचवाने लगे. वहां के आयोजकों ने छात्रों को तस्वीरें लेने के लिए मना किया. तब अब्दुल कलाम ने छात्रों को आश्वासन दिया कि – मैं तब तक यहां से नही जाऊंगा जब तक सभी लोग मेरे साथ तस्वीरें नहीं खींचवा लेंगे.
A. P. J. Abdul Kalam दूसरों की मेहनत और खूबियों को तहेदिल से सहराते थे, और अपने हाथों से धन्वाद (थैक्यू) का कार्ड बनाकर अपना धन्यवाद का संदेश भेजा करते थे. अब्दुल कलाम जब देश के राष्ट्रपति थे. तब एक बार नमन नारायण नाम के एक कलाकार ने उनका स्केच बनाया और उन्हें भेजा, राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के हाथों से बना धन्यवाद (थैक्यू) का कार्ड का संदेश पहुंचा तो उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ.
APJ Abdul Kalam Inspirational Story
अब्दुल कलाम 2002 में एक स्कूल में भाषण देने गये थे तो अचानक बिजली चली गई, आयोजक बिजली के वापसी का इंतजार कर रहे थे. बिजली आने पर पता चला की अब्दुल कलाम 400 छात्रों के बीच अपना भाषण अंधेरे में दे चुके है और छात्रों से प्रश्नोत्तर कर रहे है.
1982 में भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान (DRDO) में डायरेक्टर बन कर आये थे, तब ( DRDO) की सुरक्षा की बात चल रही थी. बाहर उनकी चारदीवारी पर कांच के टुकड़े लगाने का प्रस्ताव आया तो अब्दुल कलाम ने इसकी सहमती नहीं दी. उन्होनें कहा अगर कांच के टुकड़े लगेंगे तो इस चारदीवारी पर पक्षी नही बैठ पायेंगे. उनके घायल होने की आशंका बढ़ जायेगी. उनकी इस सोच का नतीजा था कि DRDO की दीवारों पर कांच के टुकड़े नही लगे. सच में वे बहुत ही संवेदनशील थे.
President APJ Abdul Kalam refused to sit on a chair
2013 की बात है IIT वाराणसी में दीक्षांत समारोह था. अब्दुल कलाम उस समारोह के मुख्य अतिथि थे. मुख्य अतिथि की कुर्सी सब कुर्सियों से बड़ी थी. उन्होने बड़ी कुर्सी हटा कर बाकी कुर्सियों जैसी कुर्सी मंगवाई तभी वे बैठने को राजी हुए.
जिस वक्त अब्दुल कलाम (DRDO) के डायरेक्टर पद पर थे तब वहां के एक जुनियर वैज्ञानिक ने अब्दुल कलाम से घर जल्दी जाने की छुट्टी मांगी. उन्हें अपने बच्चों को मेला दिखाने ले जाना था. अब्दुल कलाम ने उन्हें छुट्टी दे दी, लेकिन काम में इतने व्यस्थ होने के कारण वैज्ञानिक जल्दी घर जाना भूल गये. जब वे रात में घर पहूंचे तो यह जानकर हैरान रह गये कि अब्दुल कलाम वक्त से घर पहूंच कर बच्चों को मेला घुमा लाये थे.
अब्दुल कलाम ने कभी अपने या परिवार के लिए कभी कुछ बचाकर नही रखा उन्होंने अपनी सारी जमापूंजी और मिलने वाली तनख्वाह एक ट्रस्ट के नाम कर दी. यह कहा- कि मेरा ध्यान जब सरकार रख रही है तो मुझे तनख्वाह और जमापूंजी बचाने की क्या जरुरत है.
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