APMC का फुल फॉर्म, क्या है एपीएमसी APMC नया एक्ट से किसानों को लाभ, बिचौलियों से मुक्ति

APMC Full Form | APMC Act in Hindi कृषि उत्पाद बाजार समिति (Agricultural Produce Market Committee) यानी एपीएमसी APMC नया एक्ट का विरोध किसानों द्वारा किया जा रहा है। एग्रीकल्चर से संबंधित एक्ट का विरोध का कारण क्या है? किसान आखिर इसका विरोध क्यों कर रहे हैं? सभी बातों के बारे में इस आर्टिकल में अपडेट जानकारी आपको प्रदान की जा रही है। नया APMC एक्ट के लाभ और नुकसान (APMC Act) का सही नजरिया आपके सामने हम निष्पक्ष यहां पर बताने जा रहे हैं। हमारे साथ इस आर्टिकल से बने रहे।

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Table of Contents

APMC एक्ट  को कब मंजूरी दी गई?

केंद्रीय कैबिनेट ने APMC Act यानी कृषि उत्पाद विपणन समिति को लेकर कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020 को जून में मंजूरी दी गई।

APMC का फुल फॉर्म, Agricultural

Know APMC Full Form Or Apmc Act In Hindi
Know APMC Full Form Or Apmc Act In Hindi

आइए सबसे पहले जान लें कि एग्रीकल्चर का यह एप्स खेती-बाड़ी संबंधित है।

APMC का फुल फॉर्म क्या है?

Full form of the APMC act – Agricultural Produce Market Committee, जिसका अर्थ हिंदी में कृषि उत्पाद बाजार समिति है।

यहां एग्रीकल्चर यानी कि खेतीबाड़ी से संबंधित उत्पाद जैसे फासले इत्यादि हैं जिसे बाजार समिति में बेचने के संबंध में कानून से है। इस कानून से क्या किसान खुश नहीं है? इस कानून को सरकार को लाना चाहती है? इन सब बातों का सही जवाब आपको इस आर्टिकल में आगे मिलेगा‌।

क्या है Produce Market Committee (कृषि उपज बाजार समिति)

  • कृषि उपज बाजार समिति एक ऐसा मंच है जहां पर हर राज्य के किसान अपनी कृषि उपज को बेच सकते हैं।‌ Produce Market Committee की स्थापना हर राज्य में राज्य सरकारों द्वारा किया गया है।
  • अब आपके दिमाग में यह प्रश्न आ रहा है कि इस समिति की स्थापना क्यों की गई है? प्रोडक्ट मार्केट कमेटी की स्थापना किसानों के हित के लिए है।  किसानों की उपज का दाम कम लगाते हैं और सारा मुनाफा यह बिचौलिए डकार जाते हैं।

किसान की उपज बिचौलिए कैसे हड़प जाते हैं?

  • इसलिए आपने देखा होगा कि किसान कितना अधिक उपज अपने खेतों में लहराते फसल द्वारा हासिल कर ले लेकिन जब उसे पारंपरिक मंडी में लाकर बेचता है तो बिचौलिए उनके उपज की सही कीमत मार्केट कंपटीशन के हिसाब से नहीं देते हैं।
  • किसान सोचता है कि उसका उपज मंडी में बिकने के इंतजार में पड़ा पड़ा खराब ना हो जाए, यहां पर मैं बता दूं कि यह बिचौलिए आर्थिक और राजनीतिक रूप से इतने ताकतवर होते हैं कि अगर वहां पर कह दिया कि फलाने किसान का माल नहीं बिकना चाहिए तो कोई भी बिचौलिया या कोई भी उसका माल नहीं खरीदता है।
  • इसलिए मजबूर होकर औने पौने दाम में आखिरकार किसान अपना उपज, इन बिचौलियों के हाथ बेच देते हैं, जिससे किसान के हाथ में लाभ का बहुत कम हिस्सा आता है और बिना मेहनत करने वाला बिचौलिया करोड़पति बन जाता है।
  • किसानों की उपज का कम कीमत देकर उनसे माल खरीद कर अधिक कीमत में बाद में माल यह बिचौलिए बड़ी आसानी से बेच देते हैं। जब आप जैसे उपभोक्ता तक प्याज पहुंचता है तो यह इतना महंगा होता है, शब्द सुनाई देता है महंगाई लेकिन उसका फायदा किसान को नहीं बिचौलियों को होता है। उदाहरण से इस बात को समझें जैसे प्याज के मामले में अगर प्याज का उत्पादन बहुत ज्यादा होता है तो यही बिचौलिए प्याज को कम कीमत में खरीद के और उसे मंडी से हटाकर कोल्ड स्टोर में रख देते हैं। दोस्तों प्याज को काफी दिनों तक स्टोर किया जा सकता है इसलिए आपने देखा होगा कि प्याज का दाम सबसे अधिक हो जाता है यानी महंगाई प्याज पर हर बार आती है। सटोरिए और बिचौलिए लाभ कमाते हैं।
  • जब प्याज धीरे-धीरे महंगा होने लगता है, अब यह बिचौलिए कोल्ड स्टोर में रखा हुआ प्यार धीरे-धीरे बेचना शुरू करते हैं और करोड़ों रुपए कमा लेते हैं।  दलाल प्याज का अधिक मुनाफा पाकर मस्त हो जाते हैं। प्याज उगाने वाले उन मेहनती किसानों के हिस्से में कुछ भी नहीं आता है।

नया APMC एक्ट बिचौलियों से कैसे बचाता है?

अब आपको बात समझ में आ गई होगी कि इन लालची बिचौलियों जो किसान के शोषण करने वाले लोग हैं, उनका माल औने पौने दाम में उनकी मजबूरी से खरीद लेते हैं और अधिक लाभ में बेच देते हैं, इन पर लगाम लगाने के लिए यह कानून आया है जिसका नाम है- नया APMC एक्ट।

प्रोड्यूस मार्केट कमिटी किसानों के हित में काम करती है।  APMC कालाबाजारी को रोकता है। मुनाफाखोरी पर लगाम लगा होता है। किसान के शोषण करने वाले इन बिचौलियों को सबक सिखाता है। यह कानून बिचौलियों से किसान को बचाता है, उनके ऊपज का सही कीमत दिलाता है।

कृषि बिल में APMC एक्ट पर क्यों जोर दिया जा रहा है?

दोस्तों इन दिनों कृषि बिल पर लंबे समय से किसानों के विरोध देश भर में देखा जा सकता है। लेकिन सिक्के के दूसरे पहलू भी हैं कि इस बिल में बहुत सी खूबियां भी हैं। दूसरी बात यह है कि इस बिल का विरोध कहीं-कहीं हो रहा है तो इसके समर्थन में किसान भी खड़े हो रहे हैं। दोस्तों कहीं न कहीं इस बिल को ना समझ पाने और  कृषि बिल से होने वाले सुधारों और कुछ खामियों के बीच में समर्थक और विरोधी उलझ गए हैं। कृषि बिल में APMC एक्ट पर इस समय क्यों जोर दिया जा रहा है, आइए इस गुत्थी को सुलझाते हैं, कुछ पॉइंट में-

  • कृषि बिल पर खूब हंगामा हो रहा है ऐसे में कृषि कानून को वापस लेने के लिए देशभर में जोरदार प्रदर्शन भी हो रहे हैं। इन्हीं प्रदर्शनों के बीच में कुछ ऐसे शब्द सामने आ रहे हैं, बारे में अधिकांश लोग नहीं जानते हैं। पहला शब्द है एग्रीकल्चर मार्केटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमिटी इस कमेटी के बारे में मैंने ऊपर बताया है कि यदि किसानों को बिचौलिए से बचाने वाला सबसे अच्छा कानून है।
  • इसके अलावा MSP, APMC एक्ट, कांट्रेक्ट फार्मिंग शब्द भी सुनने में आ रहे हैं। एमएसपी, एपीएमसी कृषि बिल कानून में क्या है?  तो आइए आज हम जानते हैं कि एपीएमसी एक्ट क्या है?  इस एपीएमसी एक्ट के तहत किसानों को क्या राहत मिलेगी,  किसान इसमें क्या संसोधन चाहते हैं।

नया APMC एक्ट  से किसानों को लाभ

जैसा आप जानते हैं कि APMC का पूरा नाम Agricultural Produce Market Committee (कृषि उपज बाजार समिति) है। यह किसानों की उपज बेचने के लिए एक मंच प्रदान करता है।

नया APMC एक्ट के फायदे के कारण अब किसान को उसकी उपज की सही कीमत मंडी में मिल पाएगी।  बिचौलिए अक्सर किसान  की उपज को कम कीमत में खरीदकर अधिक लाभ कमाते हैं इसलिए बिचौलिए से बचाने के लिए इस तरह की समितियां बनाया गया है। इससे किसानों को सही मूल मिलेगा और किसानों का लाभ होगा।

अगर किसान को उसके उपज की सही कीमत मिलेगी तो उसका जीवन खुशहाल होगा और उसे कर्ज लेने की जरूरत नहीं होगी और इस तरह से साहूकारों के चंगुल में भी किसान नहीं फंसेगा।

 किसान को मार्केट की अनिश्चितताओं से बचाने के लिए एमपीएमसी कानून लागू होने के बाद किसानों की हालत बदली है। आपको बता दें कि पहले कई राज्यों में अपने अलग-अलग एपीएमसी एक्ट होते थे, अब एपीएमसी एक्ट केंद्र सरकार  के स्तर से लागू हुआ लेकिन यह अपनी असली मकसद को हासिल नहीं कर सका क्योंकि आधी अधूरी तैयारी के साथ यह कानून लागू हुआ लेकिन मंडी की ढांचागत स्थिति में किसी तरह की सुधार न होने के कारण इससे बिचौलियों पर उतना लगाम नहीं कस पाया गया।

 एपीएमसी कानून के तहत इसको आधुनिकीकरण एवं कंपटीशन के माहौल में जोड़ने की कोशिश नहीं की गई। एपीएमसी मंडी ओ में वसूली जाने वाला शुल्क भी बहुत अधिक है।  कई ऐसे टैक्स लगाए गए हैं,  जैसे मंडियों में फल और सब्जियों के कमीशन 4% से 8% शुल्क लगा दिया गया हकिसान अपना उपज मंडी में भी बेच सकता है, अगर उसे अपना उपज खुले बाजार में अच्छे दामों पर बिकता है तो वह खुले बाजार में भी उपज बेच सकता है।

 पहले किसान अपने उत्पाद बेचने के लिए लाइसेंस प्राप्त खरीदारों को बेचने पर मजबूर होता था लेकिन अब कृषि उत्पाद विपणन समिति के माध्यम से वह अपने उत्पाद खुले बाजार में अधिक दाम पर बेच सकता है और चाहे तो वह मंडी में भी बेच सकता है। इस तरह से किसान को इस  के माध्यम से चौतरफा फायदा मिलता है।

 इस कानून के तहत तो आप किसानों को अपने उत्पाद बेचने और उसे रखने की सहूलियत मिलेगी, वह अपने मनमर्जी से अपनी उपज को बेचने के लिए स्वतंत्र है।

राज्यों के कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम के तहत अधिसूचित हैं। इससे किसानों को अधिक विकल्प मिलेंगे। बाजार की लागत कम होगी और उन्हें अपने उपज की अच्छी कीमत मिल सकेगी।

कृषि उत्पादों का सुगम कारोबार सुनिश्चित करने के लिए एक ई-प्लेटफॉर्म  बनाया जाएगा जहां पर कारोबार की सुविधाएं  मिलेगी। इस प्लेटफार्म से उत्पादों की और अच्छी कीमत मिलेगा। 

APMC एक्ट फीचर

 इस अधिनियम के अनुसार राज्यों के क्षेत्रों और बाजारों के प्रकार के अनुसार कई तरह के बाजारों में बांटा जाएगा जिससे कि इस वर्गीकरण के कारण बाजार की व्यवस्था सही होगी।

 जब बाजार का वर्गीकरण यानी कैटेगरी हो जाएगा तो बाजार समितियां अच्छे से काम करेंगी और एक स्वतंत्र एजेंसी की तरह कार्य करेंगी। जो किसानों के हित में होगा। कुल मिलाकर किसी भी अलग तरीके के एजेंसी और समितियों को काम करने की इजाजत यहां पर नहीं मिलेगी यह कैसी व्यवस्था होगी जहां पर किस कानून के तहत किसानों को अधिक लाभ मिलेगा।

 इस कानून के तहत बाजार समितियों  के द्वारा बाजारों का गठन राज सरकारों द्वारा किया जाएगा। इस मार्केट कमेटी में 10 से 20 सदस्य होंगे जो सरकार द्वारा निर्वाचित होंगे या इनको चुन लिया जाएगा।  दोस्तों सरकार द्वारा नियंत्रित होने के कारण इस पर विरोधी सवाल उठा रहे हैं कि सरकारी नियंत्रण के कारण किसानों का   हित नहीं होगा।

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 मंडी समितियां इस एक्ट के तहत बनेगी तो  कमीशन खोर एजेंट और भाई भतीजावाद खत्म होगा जिस कारण से किसानों का अंतर का भला ही होगा उनके ऊपर की सही कीमत मंडी में मिलेगी और अगर इससे अधिक कीमत बयान मिलती है तो अपने उपज़़ को वहां पर आसानी से बेच सकते हैं। नीलामी आदि की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और इससे किसानों को फायदा मिलेगा।

APMC कानून पर आपत्ति क्यों

  •  पंजाब सरकार APMC एक्ट पर आपत्ति जाहिर करता है।  उनका कहना है, संघी व्यवस्था का यह कानून उल्लंघन करता है। भारतीय संविधान में राज्य विधानसभाओं को मंडी और मेलों को संचालित करने का अधिकार दिया है और इसी पॉइंट पर इस कानून पर आपत्ति पंजाब सरकार और वहां के कानून विशेषज्ञ जताते हैं।
  • लेकिन एक बात ध्यान दें कि इस कानून के तहत बड़े-बड़े एजेंट जो लाखों करोड़ों रुपए सालाना किसान के ऊपर को औने पौने दाम में खरीद कर कमाते थे अब उन्हें किसान  औने पौने  कम दामों में  क्यों  बेचेगा।
  • माना जाता है कि पंजाब में इस तरह के बड़े-बड़े एजेंट इस बात का विरोध राजनीतिक शक्तियों के पीछे खड़े होकर कर रहे हैं ताकि यह व्यवस्था ना लागू हो सके क्योंकि इस व्यवस्था में एजेंटों को कोई फायदा होने वाला नहीं है, जबकि किसान को उनके उपज की सही कीमत मिलेगा और खुले मार्केट में अगर उसकी कीमत अधिक मिलती है तो मंडी में बेचने के लिए बाध्य नहीं होगा। पंजाब में विरोध यह बताता है कि यह एक राजनीतिक विरोध है।
  • बिहार  और झारखंड राज्य की बात करें तो वहां पर फार्मर बिल से उनके जीवन में कोई असर पड़ने वाला नहीं है क्योंकि वहां पर मंडी नाम की चीज ही नहीं है यानी सरकारी मंडी (APMC Mandi) नहीं होने के कारण पहले से ही बिचौलिए या पेपरों के पास अपना उत्पाद बेचने में मजबूर है।

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