Bihar Government Schemes List 2022 PDF | बिहार सरकारी योजना लिस्ट

Bihar Government Schemes List 2022 PDF | बिहार सरकार की कल्याणकारी सरकारी योजना की सूचि एवं विकास कार्यक्रम | List Of Welfare Scheme And Development Program Of Bihar Government PDF Download – दोस्तों आज SarkariExamHelp आज हम आप सभी छात्रों के समक्ष बिहार सरकार द्वारा वर्ष 2022 तक घोषित बिहार सरकार की कल्याणकारी सरकारी योजना की सूचि एवं विकास कार्यक्रम 2022 की जानकारी और Bihar Government schemes List 2022 in Hindi PDF शेयर कर रहे है। आज का यह लेख बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सभी परीक्षाओं एवं साक्षात्कार, बिहार कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित सभी परीक्षाओं, बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग तथा बिहार के पंचायत जनप्रतिनिधियों के लिए उपयोगी है।

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बिहार सरकार की सरकारी योजना (Government Schemes) लिस्ट 2022

सर्वविदित है कि बिहार राज्य देश का मार्गदर्शन पहले भी करता रहा है और आज भी कर रहा है। यह राज्य अपने गौरवशाली अतीत के लिए तो प्रसिद्ध है ही, वर्तमान में भी अपने कई अनूठे कार्यों से देश का ध्यान आकृष्ट कर रहा है।

Bihar Government Schemes 2022 in Hindi
Bihar Government Schemes 2022 in Hindi

इस क्रम में महिला सशक्तीकरण एवं सुशासन संबंधी कार्य, पूर्ण शराबबंदी, सांत निश्चय, आत्मनिर्भर बिहार के सात निश्चय-2, कोविड-19 संबंधी कार्य आदि सम्मिलित है।

बिहार की अपनी कई समस्याएँ भी है जैसे गरीबी, बेरोजगारी, प्राकृतिक आपदाएँ, अनौद्योगीकरण, जातिवाद, शिक्षा में गुणवत्ता का अभाव आदि। इन सभी को ध्यान में रखते हुए इस लेख में राज्य के विभिन्न ज्वलंत मुद्दों एवं समस्याओं का वर्णन विभिन्न पहलुओं से की गई है। यह छात्रों के साथ-साथ पंचायत प्रतिनिधियों के लिए भी काफी उपयोगी साबित होगी। यह लेख परीक्षार्थियों के साथ-साथ ऐसे सामान्य पाठकों के लिए भी उपयोगी है जो बिहार के मामलों के बारे में जानकारी की इच्छा रखते हैं।

भारतीय संविधान की मुख्य विशेषता एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है। संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों में यह कल्याणकारी राज्य के बारे में बताया गया है और आवश्यकता वाले वर्ग एवं लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश देता है। भारत एक कल्याणकारी राज्य है। यहाँ महिलाओं, बच्चों अल्पसंख्यकों, पिछड़े, दलितों, बुजुर्गों, निशक्तों आदि के कल्याण के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ताकि उनके अधिकार एवं जीविका सुरक्षित हो सके। बिहार में भी महिला, बाल विकास, बाल संरक्षण, सामाजिक सुरक्षा, निःशक्तता आदि प्रक्षेत्रों के अन्तर्गत कई कल्याणकारी योजनाएँ सफलतापूर्वक चलाई जा रही है । इसमें कुछ केन्द्र संपोषित है तो कुछ राज्य की अपने और कुछ केन्द्र एवं राज्य दोनों की वित्त संपोषित है।

मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना

मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना महिला सशक्तीकरण की दिशा में बड़ा कदम है। इस योजना की शुरूआत मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने 3 अगस्त 2018 को किया। वैसे बिहार सरकार ने अप्रैल 2018 से इस योजना को अधिकारिक तौर पर लागू कर दिया था ।

उद्देश्य और लक्ष्य- राज्य सरकार ने बाल कन्या विवाह रोकने के प्रमुख पहल के रूप में मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना की शुरूआत की है। इस योजना का उद्देश्य कन्या भ्रूण हत्या रोकना, कन्याओं के जन्म निबंधन और संपूर्ण टीकाकरण को प्रोत्साहित करना, लिंग अनुपात में वृद्धि लाना, बालिका शिशु मृत्यु को कम करना, बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना, बाल विवाह पर अंकुश और कुल प्रजनन दर में कमी लाना भी सम्मिलित है। इस योजना का लक्ष्य बालिकाओं को शिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाना, सम्मानपूर्वक जीवन यापन करने का अवसर प्रदान करना और परिवार एवं समाज में उनके आर्थिक योगदान बढ़ाना आदि है ।

लाभ या राशि – इस योजना के अन्तर्गत जन्म से लेकर स्नातक तक लड़कियों को 54,100 रुपए प्रदान किया जाता है। 2000 रु० कन्या के जन्म पर 1000 रु० कन्या के एक वर्ष पूरे होने पर, 2000 रु० कन्या के दो वर्ष पूरे होने पर 600 प्रति वर्ष वर्ग 1-2 (पोशाक), 700 रु० प्रतिवर्ष वर्ग 3-5 (पोशाक), 1000 प्रति वर्ष वर्ग 6-8 (पोशाक), 1500 रु० प्रतिवर्ष वर्ग 9-12 (पोशाक), 10000 रु० इंटर पास करने पर (अविवाहित को जो अब बढ़ाकर 25,000 कर दी गई है) ।

25,000 स्नातक उतीर्ण करने पर (अब बढ़कर 50,000 रु० हो गया है) तथा 300 रु० वर्ग 7-12 तक की राशि प्रतिवर्ष सेनेटरी नैपकिन हेतु दिया जाता है। हालांकि वर्ष 2020 में इस योजना में वृद्धि की गई है। मुख्यमंत्री बालिका स्नातक प्रोत्साहन योजना की राशि राज्य सरकार ने 25,000 से बढ़ाकर 50,000 रु० कर दिया है। वहीं इंटर पास अविवाहित लड़कियों को 10,000 रु० के स्थान पर 25,000 रु० मिलेगी ।

पात्रता या योग्यता – इस योजना के लिए वही कन्या पात्र होगी जो बिहार राज्य की मूल निवासी है, गरीब घर की है और जिसके घर का कोई सदस्य सरकारी नौकरी में नहीं है। इस योजना का लाभ एक परिवार की दो बेटियां ही उठा सकती है। आधार कार्ड, बैंक खाता पासबुक, वोटर आईडीकार्ड, इंटर एवं स्नातक का मार्कशीट, मोबाइल नंबर और पासपोर्ट साईज का फोटो इस योजना के आवेदक के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज है ।

बिहार में मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना राज्य के लड़कियों के लिए शैक्षणिक सामाजिक और आर्थिक सशक्तीकरण का वाहक बनेगा। राज्य की अब हर लड़की अपनी आगे की पढ़ाई पूरी कर सकेगी, उसका जीवन स्तर उठेगा, लिंग भेद में कमी आएगी और अपने स्वास्थ्य के प्रति भी ध्यान दे सकेगी ।

मुख्यमंत्री वृद्धजन पेंशन योजना

इस योजना की शुरूआत मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार द्वारा 14 जून 2019 को किया गया। इस योजना के अन्तर्गत बिहार राज्य के 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के वृद्धजनों को राज्य सरकार द्वारा मासिक पेंशन प्रदान किया जाएगा। मुख्यमंत्री वृद्धजन पेंशन योजना का लाभ सेवानिवृत सरकारी कर्मचारियों को छोड़कर बाकी सभी वृद्धजन उठा सकते हैं।

इस योजना के तहत 60 वर्ष से 79 वर्ष के मध्य के बुजुर्ग पुरूषों और महिलाओं को 400 रु० की धनराशि प्रतिमाह पेंशन के रूप में प्रदान की जाती है और 80 वर्ष था इससे अधिक आयु के वृद्धजनों को 500 रु० की धनराशि पेंशन के रूप दी जाती है। सभी बुजुर्गों को पेंशन देनेवाला बिहार देश का पहला राज्य बना। इस योजना का उद्देश्य बिहार के वृद्ध लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है, जिससे वे अपने खर्चों के लिए आत्मनिर्भर हो और उन्हें कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़े। यह योजना 1 अप्रैल 2019 से जारी है।

सतत जीविकोपार्जन योजना

इस योजना का शुभारंभ 5 अगस्त 2018 को मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने किया। सतत जीविकोपार्जन योजना को देशी शराब और ताड़ी के उत्पादन तथा बिक्री में पारंपरिक रूप से जुड़े परिवार जिनकी राज्य में शराबबंदी के बाद आर्थिक स्थिति दयनीय हो गयी है, जैसे निर्धन परिवारों के साथ ही अनुसूचित जाति जनजाति और अन्य समुदायों के लक्षित अत्यंत निर्धन परिवार के लिए शुरू की गई है। ऐसे परिवारों को राज्य सरकार इस योजना के अन्तर्गत सतत आजीविका एवं क्षमता निर्माण हेतु वितीय सहायता प्रदान करती है।

इस योजना के अन्तर्गत वैकल्पिक रोजगार हेतु गाय, बकरी एवं मुर्गी पालन तथा कृषि संबंधी गतिविधियों, अगरबती व्यवसाय व स्थानीय रूप में जिस किसी में भी उनकी रूचि हो या जो उन्हें उपयुक्त लगता हो उससे जोड़ा जाएगा। इस योजना के अन्तर्गत 60 हजार से एक लाख तक की राशि प्रदान की जाएगी। रोजगार शुरू होने तक सरकार सहयोग राशि के तौर पर उन्हें 7 महीने तक एक हजार रुपया की दर से राशि उपलब्ध कराएगी। यह रुपया उन्हें व्यवसाय आरंभ करने में होने वाली परेशानी से बचाव हेतु प्रदान की जाएगी।

मुख्यमंत्री अनु० जाति एवं अनु० जनजाति तथा अत्यंत पिछड़ा वर्ग सिविल सेवा प्रोत्सान योजना

इस योजना का शुभारंभ मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने 14 अगस्त 2018 को किया। इस योजना के तहत यूपीएससी एवं बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा उतीर्ण करने वाले अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति एवं अति पिछड़ा वर्ग के छात्रों को मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए राज्य सरकार द्वारा क्रमशः 1,00,000 रु० (UPSC) तथा 50,000 रु० (BPSC) की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। यह राशि उम्मीदवारों को एकमुश्त दी जाती है। इस योजना के लिए उम्मीदवार को बिहार का निवासी होना,

यूपीएससी या बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा उतीर्ण होना और उम्मीदवार अत्यंत पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातिका होना आवश्यक है। किसी भी अभ्यर्थी को इस योजना का लाभ एक बार ही देय होगा। पूर्व से किसी भी सरकारी/लोक उपक्रम/राज्य सरकार द्वारा वित्त संपोषित संस्था की सेवा में कार्यरत/नियोजित अभ्यर्थी को इस योजना का लाभ नहीं दिया जाता है। अनु० जाति एवं अनु० जनजाति कल्याण विभाग और पिछड़ा वर्ग तथा अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा इन योजनाओं का संचालन होता है ।

मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति और जनजाति उद्यमी योजना

बिहार में मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने इस योजना का उद्घाटन 4 अगस्त 2018 को किया। इस योजना के अन्तर्गत उद्यमियों को ब्याज रहित लोन (Interest Free Loan For Business in Bihar) दिया जाता है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के सभी आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शुरू करने में वितीय मदद करना है जिससे उन्हें व्यवसाय या स्टार्टअप शुरू करने में वित से संबंधित कोई मुश्किल नहीं आए। इसका उद्देश्य रोजगार के अवसर पैदा कर बेरोजगारी दर में कमी लाना, सूक्ष्म एवं लघु उद्योग को बढ़ावा, स्टार्टअप व्यवसाय के लिए प्रोत्साहित करना भी है। इस योजना के अन्तर्गत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के शिक्षित बेरोजगार युवक-युवतियों को स्वयं का रोजगार स्थापित करने के लिए ब्याज रहित लोन प्रदान करता है।

इसके अन्तर्गत सभी लाभार्थियों को 10 लाख रु० दिए जाते हैं। इन 10 लाख रु० में से 5 लाख रु० अनुदान के रूप तथा 5 लाख रु० ब्याज मुक्त लोन के रूप में प्रदान किए जाते हैं। वर्ष 2020 में इस योजना के अन्तर्गत अति पिछड़ा वर्ग को भी शामिल कर लिया जिसके बाद इसका नाम मुख्यमंत्री अनु० जाति, अनु जनजाति एवं अति पिछड़ा वर्ग उद्यमी योजना हो गया। इस योजना का लाभ बिहार राज्य के स्थायी निवासी अनु० जाति, अनु० जनजाति और अति पिछड़ा वर्ग को मिलता है। इसके लिए कम से कम इन्टरमीडिएट, आई०टी०आई०, पॉलिटेकनिक डिप्लोमा या समकक्ष उत्तीर्ण और उम्र कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए। लाभ प्राप्त करने वाले इकाई प्रोपराईटरशीप फर्म, पार्टनरशीप फर्म, LLP अथवा PVT Ltd. company के तहत निर्बंधित होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना

बिहार में विधायक/विधानपार्षद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना की समाप्ति के बाद सरकार ने मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के नाम से एक बहुआयामी और महत्वाकांक्षी योजना वर्ष 2011-12 से लागू किया गया। यह योजना एवं विकास विभाग के नियंत्रणाधीन हैं।

मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में संतुलित क्षेत्रीय विकास लाने के लिए आधारभूत संरचनाओं का विकास है । यह योजना पूरे राज्य के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में लागू है।

जिला चयन समिति का गठन

मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के अन्तर्गत विकास योजनाओं के चयन एवं क्रियान्वयन के लिए जिला चयन समिति का गठन किया जाएगा जिसके अध्यक्ष जिला प्रभारी मंत्री होंगे। जिला के सभी विधानसभा सदस्य, वैसे विधानपरिषद् सदस्य जिसका निर्वाचन क्षेत्र निर्धारित नहीं है, वे राज्य के किसी एक जिला को इस कार्यक्रम के लिए चयनित करेंगे। उन विधानपरिषद् के निर्वाचित सदस्य जिनका निर्वाचन क्षेत्र राज्य के कई जिलों में विस्तारित है, उनके जिलावार अनुशंसित राशि का प्रतिशत प्राप्त किया जा सकेगा। राज्य सरकार द्वारा मनोनीत अधिकतम तीन गैर सरकारी सदस्य इसके सदस्य होंगे। जिला पदाधिकारी सदस्य सचिव और जिला योजना पदाधिकारी संयोजक होंगे। उप विकास आयुक्त, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, संबंधित प्रमंडल के क्षेत्रीय योजना पदाधिकारी, संबंधित जिलों के स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संभाग के सभी कार्यपालक अभियंता और जिला पंचायती राज पदाधिकारी इस समिति के आमंत्रित सदस्य होंगे।

जिला पदाधिकारी किसी बैठक में अध्यक्ष की अनुमति से आवश्यकता पड़ने पर भाग लेने के लिए आमंत्रित कर सकेंगे। जिला चयन समिति में सदस्य के रूप में माननीय मुख्यमंत्री/उप मुख्यमंत्री/ विधान परिषद् के सभापति/विधान सभा के अध्यक्ष/मंत्रीगण/विधान परिषद् के उप सभापति/विधान सभा के उपाध्यक्ष समिति की बैठक में स्वयं भाग नहीं लेने की स्थिति में बैठक में भाग लेने के लिए अपना प्रतिनिधि नामित कर सकेंगे।

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योजनाओं का कार्यान्वयन

मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के अन्तर्गत भवनहीन पंचायत सरकार भवनों का निर्माण, भवनहीन आंगनबाड़ी केन्द्र भवनों का निर्माण, गोदाम का निर्माण, गली एवं नाली का निर्माण, सामुदायिक भवन, सार्वजनिक बस पड़ाव यात्री शेड, सार्वजनिक पुस्तकालय आदि का निर्माण, नदी एवं सार्वजनिक तालाबों के हाटों का निर्माण, घाट एवं मेला स्थलों का विकास, कला मंच/खेल के मैदान का निर्माण, अन्य योजनाओं जो समय-समय पर सरकार द्वारा निदेशित हो आदि योजनाओं का कार्यान्वयन कराया जाएगा।

योजनाओं का कार्यान्वयन का तरीका

मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के कार्यान्वयन के तरीके का भी प्रावधान है। प्रत्येक विधानमंडल सदस्य योजना कार्यों की अनुशंसा विधानमंडल के पत्र शीर्ष पर विधिवत रूप से हस्ताक्षर करके भेजेंगे। विधानमंडल सदस्यों के प्रतिनिधि या प्रतिनिधियों द्वारा की गई अनुशंसा अनुमान्य नहीं होगी। प्रत्येक वित्त वर्ष के लिए प्रत्येक विधानमंडल सदस्य के द्वारा 125% तक की वार्षिक सीमा के अधीन अनुशंसा की जा सकेगी, परंतु जिला चयन समिति अंतिम रूप से वार्षिक सीमा तक ही योजनाएँ पारित कर सकेगी ।

इस योजना के अन्तर्गत विभाग का प्राप्त बजटीय उपबंध के आलोक में जिलों की वार्षिक निधि उपलब्धता की सूचना दे दी जाएगी। इस योजना के कार्यान्वयन के लिए अभियंत्रण संभाग गठित की गई है। इस योजना के अन्तर्गत राशि स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन को आवंटित की जाएगी। जिला चयन समिति अगले वित्त वर्ष के प्रतिवर्ष जनवरी माह में प्रथम पक्ष के अपनी बैठक कर संसूचित राशि के अनुसार अगले वर्षों के लिए योजनाओं का चयन कर लेगी। योजनाओं के चयन के बाद उनकी सूचि जिला स्तरीय अभियंत्रण संभाग के प्रभारी को सौंप देगी जो उनका प्राक्कलन अधिकतम दो माह के अंदर तैयार करेगी।

इन योजनाओं का कार्यान्वयन बिहार लोक निर्माण के प्रावधानों के आधार पर किया जाएगा। जिला चयन समिति के सहमति के बिना अनुशंसित कार्य एवं कार्य के निष्पादन के लिए चयनित कार्य स्थल को बदला नहीं जाएगा। विधानमण्डल सदस्यों से अनुशंसित सभी योजनाओं की अनुशंसा प्राप्त होने की तिथि से यथा संभव सात कार्य दिवसों के अंदर जिला योजना पदाधिकारी के द्वारा स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन के कार्य प्रमंडलों का प्राक्कलन तैयार करने हेतु भेजा जाएगा। कार्यकारी एजेंसी के द्वारा यथासंभव 15 दिनों की अवधि के भीतर प्राक्कलन जिला योजना कार्यकाल को उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा। कार्य को तभी स्वीकृत एवं कार्यावित कराया जाएगा, जब जिला चयन समिति द्वारा कार्यान्वयन पर सहमति दे दो गई हो एवं सरकारी भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित हो गई हो ।

बिहार राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (जीविका )

बिहार जीविका परियोजना आजीविका संबंधी गतिविधियों के लिए सहयोग प्रदान करके गरीबी उन्मूलन हेतु राज्य सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है। जीविका परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण समुदाय विशेषकर गरीब तबके के लोगों को उनके जीविकोपार्जन के लिए समुचित अवसर उपलब्ध कराना है। परियोजना का एक और उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं का सामाजिक और आर्थिक दोनों तरह से सशक्तीकरण है। इसका लक्ष्य स्वयं सहायता समूहों द्वारा संस्थागत क्षमता विकसित करके ग्रामीण गरीबों की आमदनी बढ़ाना है। इसलिए कि संस्थागत क्षमता बढ़ाने से उन्हें बैंकों और अन्य सार्वजनिक अभिकरणों से बेहतर सेवाएँ हासिल हो। सकती है।

भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अप्रैल 2013 में स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना को राष्ट्रीय ग्रामीण जीविका मिशन के रूप में पुनर्गठित कर दिया है। बिहार राज्य ग्रामीण जीविका प्रोत्साहन समिति राष्ट्रीय ग्रामीण जीविका मिशन के समग्र ढाँचे के तहत काम कर रही है। समिति की जीविका परियोजना का आरंभ कुछ ही जिलों में किया गया था, लेकिन अब इसका राज्य के सभी 38 जिलों के सभी प्रखण्डों में चरणबद्ध ढंग से विस्तार कर दिया गया है।

जीविका 10 वर्षों की अवधि में 1.5 करोड़ ग्रामीण परिवारों के 10 लाख स्वयं सहायता समूहों, 65,000 ग्राम संगठनों और 16,00 संकुल स्तरीय संघों में संगठित किया जाएगा। जीविका ने स्वयं सहायता समूहों तथा उनके संघों के गठन और वित्तीय समावेश के मामले में देश में पहला स्थान हासिल किया है। वर्ष 2018-19 तक कोई 8,48,896 स्वयं सहायता समूहों का गठन हुआ। यह 55628 ग्राम संगठनों और 925 संकुल स्तरीय संघों का गठन कर चुकी है। परियोजना का जोर स्वयं सहायता समूह द्वारा विभिन्न बैंकों में बचत खाते खुलवाकर और उनका ऋण संपकर्न करके उन्हें वित्त समर्थन उपलब्ध कराने पर हैं। नीचे के तालिका में पिछले चार वर्षों में बिहार में जीविका की प्रगति के आँकड़े प्रस्तुत किए गए हैं।

बिहार : जीविका की प्रगति (2015-16 से 2018-19 )

मद2015-162016-172017-182018-19
गठित स्वयं सहयता समूहों की संख्या470220610808790411848896
गठित ग्राम संगठनों की संख्या312293568164675655628
बैंकों के साथ ऋण-संपर्कित    
स्वयं सहयता समूहों की संख्या221261391314587616810426
गठित सकुल स्तरीय संघ318415706925
बैंक ऋण (करोड़ रु० )1330299353588169
स्त्रोत: जीविका, बिहार सरकार।

जीविका ने वर्ष 2015-16 से बिहार रूपांतकारी विकास परियोजना (BTDP) प्रारंभ की है जिसे जीविका 2 कहा जा रहा है। इस परियोजना का लक्ष्य मूल्य श्रृंखला और मानव श्रृंखला विकास हस्तक्षेपों में और भी सुधार करके जीविका के मॉडल का विस्तार पूरे राज्य में करना है। इस नई परियोजना का ढाँचा सशक्तीकृत महिलाओं के संगठित कार्यों के जरिए रूपांतरित ग्रामीण विकास का राज्य सरकार का लक्ष्य हासिल करने के लिए जारी प्रयास को प्रतिबिम्ब करना है।

राज्य सरकार ने अगस्त 2018 में शुरू की गई ‘सतत् जीविकोपार्जन योजना’ में तीन वर्षों में 840 करोड़ रु० बजट परिव्यय रखा गया है जिसका नोडल अभिकरण जीविका को बनाया गया है। इस योजना का उद्देश्य देशी शराब और ताड़ी के उत्पादन और बिक्री के काम में पारंपरिक रूप से लगे परिवारों सहित अति गरीब परिवारों को आमदनी वाली टिकाऊ परिसंपतियाँ उपलब्ध कराना है

जीविका का विस्तार एवं उपलब्धियाँ

बिहार में जीविका परियोजना सफलता की कहानी कह रहा है। समय के साथ जीविका ने अपने जीविका संबंधी सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रयासों को अनेक प्रकार की गतिविधियों से सुदृढ़ किया है। इन स्वयं सहायता समूहों ने खेतों पर, खेतों में या गैर कृषि स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए अनेक गतिविधियाँ प्रारंभ की है। साथ ही उन लोगों ने व्यापक कौशल प्रशिक्षण और उनके जरिए अनेक प्रकार के रोजगार सृजन की व्यवस्था भी की गई है। मार्च 2019 तक 2.15 लाख ग्रामीण युवक-युवतियों को परियोजना क्रियान्वयन अभिकरण (PIA) या ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (RUSETI) द्वारा विभिन्न कौशलों के प्राप्ति के लिहाज से प्रशिक्षित किया गया है2.54 लाख युवक-युवतियों को स्वरोजगार या सवैतनिक रोजगार प्राप्त करने में सफलता मिली है। इसके अलावे इन स्वयं सहायता समूहों की एक अन्य गतिविधि खाद्य सुरक्षा संबंधी हस्तक्षेपों या स्वास्थ्य जोखिम संबंधी हस्तक्षेपों में भाग लेकर ग्रामीण आबादी की असुरक्षित स्थिति में कमी लाना है। मार्च 2019 तक में 23720 ग्राम संगठनों को खाद्य सुरक्षा कोष और 37635 ग्राम संगठनों का स्वास्थ्य जोखिम कोष प्राप्त हुए

प्रधानमंत्री आवास योजना

वर्ष 1985-86 से चल रही ग्रामीण विकास मंत्रालय की योजना इंदिरा आवास योजना का नाम बदलकर नवम्बर 2016 में प्रधानमंत्री आवास योजना कर दिया गया है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे गृहविहीन लोगों को 2022 तक आश्रय उपलब्ध कराना है। एस. सी./एस. टी. और मजदूरों तथा गरीबी रेखा से नीचे के अन्य वंचित परिवारों पर विशेष जोर दिया जाएगा। योजना का 3% दिव्यांग व्यक्तियों के लिए निर्धारित है।

यह योजना केन्द्र और राज्यों के बीच 60 : 40 के वितपोषण के पैटर्न पर है। इस योजना के तहत सहायता राशि का मैदानी क्षेत्रों से 70,000 से बढ़ाकर 1.20 लाख और पहाड़ी राज्यों / कठिनाई वाले क्षेत्रों/समेकित कार्ययोजना वाले जिलों में 75,000 से बढ़ाकर 1.30 लाख कर दिया गया है। आवास के निर्माण की पूरी जिम्मेवारी लाभार्थी पर है। प्रत्येक आवास के साथ स्वच्छता, शौचालय और धुआंरहित चूल्हे का निर्माण वांछित है। शौचालय के निर्माण के लिए लाभार्थी द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के तहत दी जाने वाली वित्तीय सहायता प्राप्त की जा सकती है।

बिहार में इस योजना का प्रदर्शन काफी बेहतर तो नहीं है लेकिन संतोषजनक जरूर है। पिछले कुछ वर्षों में शत-प्रतिशत से अधिक भौतिक उपलब्धि रही है। लेकिन वर्ष 2015-16 में यह घटकर मात्र 21% रह गई है। धनराशि का उपयोग प्रतिशत भी 2011-12 के 68% से घटकर 2015-16 में 54.6% रह गई है। हालांकि इस वर्ष की गिरावट एक अपवाद है।

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना बिहार सरकार द्वारा लागू एक सामाजिक कल्याण कार्यक्रम है। इस योजना का प्रारंभ 2007-08 में की गई। यह योजना समाज कल्याण विभाग द्वारा कार्यान्वित की जा रही है।

उद्देश्य – इस योजना का उद्देश्य गरीब परिवार के कन्या को विवाह के समय आर्थिक सहायता प्रदान करना, विवाह का पंजीकरण करने हेतु प्रोत्साहित करना, बाल विवाह और दहेज प्रथा पर अंकुश लगाना और घरेलू हिंसा को रोकना है। लक्ष्य समूह कन्या विवाह योजना में ग्रामीण एवं शहरी दोनों ही क्षेत्रों के वैसे परिवार लाभार्थी होंगे जिनकी वार्षिक आय 60,000 से कम हो। इस योजना का लाभ मंत्रिपरिषद् की स्वीकृति की तिथि अर्थात् 22 नवम्बर, 2007 के पश्चात् सम्पन्न विवाह के लिए दिया जाता है ।

देय राशि- मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत कन्या को विवाह के समय 5,000 रूपया दिया जाता है।

पात्रता- इस योजना के अन्तर्गत वैसे कन्या आएगी जिनके माता या पिता बिहार के निवासी हो । विवाह के समय कन्या की उम्र कम-से-कम 18 वर्ष तथा वर की उम्र कम-से-कम 21 वर्ष हो पुनर्विवाह का मामला नहीं होना चाहिए, परंतु विवाह अधिनियमों के अन्तर्गत वैद्ध पुनर्विवाह के मामले में यह अनुदान देय होगा। विधवा विवाह को पुनर्विवाह नहीं माना जाएगा। विवाह का विधिवत् निबंधन होना चाहिए। दहेज नहीं देने की भी घोषणा की गई हो ।

प्रक्रिया – आवेदक को इस योजना का लाभ लेने के लिए प्रखण्ड विकास पदाधिकारी को आवेदन देना होगा। प्रखण्ड विकास पदाधिकारी इस योजना के अन्तर्गत भुगतान हेतु स्वीकृति पदाधिकारी रहेंगे। प्रखण्ड विकास पदाधिकारी के निर्णय के विरूद्ध जिला स्तरीय प्रभारी पदाधिकारी, समाज कल्याण (जिला कल्याण पदाधिकारी) अपीलीय पदाधिकारी होंगे ।

मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना

महिलाओं के सर्वांगीण विकास और सशक्तीकरण हेतु बिहार सरकार ने मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना शुरू किया। यह योजना महिला विकास निगम द्वारा संचालित की जा रही है। इस योजना की घोषणा वर्ष 2007 में की गई थी।

उद्देश्य – इस योजना का उद्देश्य राज्य की महिलाओं एवं किशोरियों का सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक सशक्तीकरण करना है। राज्य में महिला संसाधन केन्द्र की स्थापना एवं संचालन, सेवा क्षेत्र के महिलाओं का कौशल उन्नयन एवं रोजगार उपलब्ध कराना तथा अध्ययन एवं विकास को प्रोत्साहित करना है।

आर्थिक सशक्तीकरण

सेवा क्षेत्र के विभिन्न ट्रेडों जैसे कम्प्यूटर, ब्यूटीशियन, सेल्स मैनेजमेंट, शिक्षण, प्रशिक्षण आदि में कौशल उन्नयन किया गया है। महिला उद्यमिता को प्रोत्साहित करने हेतु कई सुविधाएँ दी गई है। इस योजना के अन्तर्गत लगभग 67 हजार स्वयं सहायता समूहों को जीविका में हस्तांतरित की गई है। राज्य में गठित स्वयं सहायता समूहों में सामाजिक मुद्धों, जेंडर एवं महिला संबंधी अधिनियमों की जानकारी दी जाती है।

सामाजिक सशक्तीकरण

महिला हेल्पलाइन- इस योजना के अन्तर्गत महिला हेल्पलाइन की व्यवस्था की गई है जिसका मुख्य उद्देश्य हिंसा और अत्याचार से पीड़ित महिलाओं को निःशुल्क कानूनी सेवा, प्राथमिकी दर्ज करने में सहयोग आवश्यक परिस्थिति में अल्पकालीन आवासीय व्यवस्था एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण द्वारा दीर्घकालीन पुनर्वास की व्यवस्था की सुविधा प्रदान करना है। राज्य के कुल 38 जिलों में यह योजना चल रही है।

महिला अल्पावास – गृह राज्य के उत्पीड़ित महिलाओं को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पुनर्वासित करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा 23 जिलों में 25 बिस्तर की क्षमता के एक इकाई अल्पावास गृह का संचालन किया जा रहा है। शेष 15 जिला में कार्य प्रगति पर है।

कामकाजी महिला छात्रावास – कामकाजी महिलाओं के लिए पाँच प्रमण्डलों में महिला छात्रावास का संचालन किया जा रहा है। शेष चार प्रमण्डलों में महिला छात्रावास की स्थापना हेतु कार्रवाई की जा रही है।

रक्षा गृह- अनैतिक मानव पणन निषेध अधिनियम एवं घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत उत्पीड़ित महिलाएँ एवं किशोरियों को पुर्नवासित करने के उद्देश्य से पटना जिला में रक्षा गृह स्थापित किया गया है। उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर भी बनाया जाता है।

सामाजिक जागरूकता – राज्य के सभी जिलों में नुक्कड़ नाटक और सेमिनार के माध्यमों से राज्य के सभी प्रखण्डों में महिला मुद्दों पर जागरूकता कार्यक्रम, अखबारों में विज्ञापन, रेडियों आदि के द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

सामाजिक पुनर्वास कोष- इसका उपयोग महिलाओं एवं बच्चों के पुनर्वास की आवश्यकता के लिए किया जा रहा है।

सांस्कृतिक सशक्तीकरण

राज्य के महिलाओं/बालिकाओं से संबंधित विभिन्न दिवसों आदि के अवसर पर जिला एवं मुख्यालय स्तर पर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।

मुख्यमंत्री कन्या सुरक्षा योजना

मुख्यमंत्री कन्या सुरक्षा योजना का संचालन महिला विकास निगम द्वारा राज्य में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने कन्या के जन्म को प्रोत्साहित करने, लिंग अनुपात में वृद्धि लाने और जन्म, पंजीकरण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। इस योजना की शुरूआत 2007-08 में हुई थी। इस योजना का लाभ बी. पी. एल. सूची में दर्ज परिवारों के बच्चियों, जिनका जन्म 22 नवम्बर 2007 के बाद हुई हैं, को मिलेगा। बच्ची की उम्र तीन साल से अधिक नहीं होनी चाहिए।

कन्या के जन्म के समय 2000 रु० की राशि यू. टी. आई. म्यूच्यूल फंड के चिल्ड्रेन कैरियर बैंलेस्ड प्लान में कन्या के नाम से निवेश का प्रमाणपत्र उपलब्ध कराएँ जाते हैं। राशि कन्या को 18 वर्ष की उम्र पूरा करने पर दिया जाता है। राज्य में दो बैंकों आई. डी. बी. आई. एवं यूको बैंक के माध्यम से इस योजना का संचालन किया जा रहा है। वर्ष 2012 में समाज कल्याण विभाग ने ऑडिट संबंधित कारणों से इस योजना को बंद कर दिया गया। 2015 में इसे दोबारा शुरू किया गया।

अन्तर्जातीय विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना

अन्तर्जातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए यह योजना लाई गई है। इस योजना का उद्देश्य समाज में जाति प्रथा को समाप्त करना, दहेज प्रथा को हतोत्साहित करना तथा छूआछुत की भावना को समाप्त करना है। इस योजना के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा अन्तर्जातीय विवाह करने वाली महिला का आर्थिक दृष्टि से सबल बनाने हेतु 1,00,000 रु० अनुदान के रूप में दिया जाता है जो विवाह सम्पन्न होने

के तीन महीने के भीतर संबंधित वधु को अधिकतम परिपक्वता राशि देने वाले राष्ट्रीयकृत बैंक में सावधि जमा प्रमाणपत्र के माध्यम से भुगतान किया जाता है, जिसकी अवरूद्धता की अवधि न्यूनतम तीन वर्ष की होती है। विवाह पंजीकृत होती चाहिए।

पूर्ण शक्ति केन्द्र

यह केन्द्र संपोषित योजना है। इसके अन्तर्गत महिलाओं से संबंधित सरकारी योजनाओं एवं कार्यक्रम की सूचनाएँ / जानकारी महिलाओं को उपलब्ध कराना, कानूनी अधिकार, सामाजिक एवं जेंडर मुद्दों के प्रति समुदाय में जागरूकता, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं आजीविका विकास हेतु लक्षित योजनाओं एवं कार्यक्रमों तक महिलाओं की पहुँच सुनिश्चित करना, महिलाओं को संगठित करना आदि शामिल है।

वन स्टॉप सेंटर

यह केन्द्र संपोषित योजना हैं। किसी प्रकार की हिंसा जैसे घरेलू हिंसा, यौन हिंसा, मानव पणन, ऑनर किलिंग, दहेज प्रताड़ना, एसीड अटैक की पीड़ित महिलाओं एवं किशोरियों को चिकित्सीय सेवा विधिक एवं मनोवैज्ञानिक परामर्श तथा अस्थायी आश्रम की सुविधा एक छत के नीचे मुहैया कराना। बिहार में 8 जिले पटना, गया, दरभंगा, पूर्णिया, गोपालगंज, सारण, बेगूसराय एवं नालंदा जिला हेतु योजना की स्वीकृति मिली है जिसमें जनवरी 2017 तक पटना एवं दरभंगा जिला में यह योजना संचालित है, शेष में प्रक्रियाधीन है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

यह योजना केन्द्र संपोषित है। जेण्डर आधारित लिंग चयन पर रोक लगाने हेतु बालिका शिशु के जन्म को प्रोत्साहित करने, बालिका शिशु की उतरजीविता एवं संरक्षण को सुनिश्चित करना, बालिका शिशु की शिक्षा एवं सहभागिता को सुनिश्चित करना है।

ग्रामीण अभिसरण एवं सुविधा केन्द्र

यह केन्द्र सरकार की संपोषित योजना है। इसका उद्देश्य महिलाओं से संबंधित सभी योजनाओं/कार्यक्रमों के विषय में जागरूकता का सृजन एवं समुदाय में उनके प्रति मांग का सृजन करते हुए उन सेवाओं को महिलाओं तक पहुँचाने के लिए जागरूक करना है। क्रियान्वयन हेतु बिहार के चयनित जिले हैं- वैशाली, लखीसराय, सुपौल, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, पूर्णिया, जहानाबाद, मधुबनी, पूर्वी चंपारण, मधेपुरा, मुंगेर, सीतामढ़ी, जमुई, गोपालगंज, सहरसा, भागलपुर एवं बक्सर

महिला हेल्पलाइन 181

यह भी केन्द्र संपोषित योजना है। महिलाओं के विरूद्ध अपराध की स्थिति में त्वरित सहयोग हेतु 24×7 संचालित है।

मुख्यमंत्री बालक/बालिका साइकिल योजना

यह योजना बिहार में महिला सशक्तीकरण और सामाजिक क्रांति का एक बड़ा कारक सिद्ध हुआ है। राज्य के राजकीय/राजकीयकृत प्रोजेक्ट माध्यमिक विद्यालयों/मान्यता प्राप्त गैर सरकारी अल्पसंख्यक माध्यमिक विद्यालयों/अनुदानित अराजकीय प्रस्वीकृत मदरसा/संस्कृत एवं वित्त रहित माध्यमिक विद्यालयों में 9वीं कक्षा में नामांकित छात्र/छात्राओं के लिए साईकिल क्रय हेतु 2500 रु० की राशि उपलब्ध कराई जाती है।

मुख्यमंत्री साइकिल योजना की शुरूआत वर्ष 2007-08 में हुई। पहले साइकिल सिर्फ छात्राओं को दी जाती थी। बाद में छात्रों को भी दिया जाने लगा। इस योजना की राशि का वितरण शिविर लगाकर शिक्षा समिति, पंचायत समिति, अभिभावक, ग्रामीण एवं छात्र/छात्राओं की उपस्थिति में किया जाता है ताकि नगद राशि के वितरण में पारदर्शिता बनी रहे एवं अनुचित उपायों को बल नहीं मिले। इस योजना का लाभ नहीं प्राप्त होने की स्थिति में संबंधित जिला पदाधिकारी से शिकायत की जा सकती है।

बिहार सरकार की यह सबसे चर्चित और महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना ने बिहार की तस्वीर बदल दी है। इस योजना से लड़कियाँ स्कूल जाने को प्रोत्साहित हुई जिससे लड़कियों की संख्या हाई स्कूलों में काफी बढ़ गई है। इस योजना से छात्राओं में पढ़ाई छोड़ने की दर पूरे राज्य में काफी घटी है। राज्य के किसी भी हिस्से विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में साइकिल योजना का प्रभाव प्रत्यक्ष दिखता है। बिहार में साइकिल अब सामाजिक परिवर्तन का सत्य साधक बन गया हैं जो राज्य के किसी भी हिस्से में प्रत्यक्ष रूप से महसूस किया जा रहा है। इसके प्रभाव तो आज भी दिख सकता है लेकिन आने वाले वर्षों में और अधिक महसूस किया जाएगा।

मुख्यमंत्री शताब्दी बालिका पोशाक योजना

बिहार सरकार ने बिहार राज्य के स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में मुख्यमंत्री शताब्दी बालिका योजना का प्रारंभ 2011-12 में की। पहले क्लास एक से पाँचवीं की छात्राएँ, फिर छह से आठ तक की छात्राओं के लिए मुख्यमंत्री पोशाक योजना की शुरूआत की गई थी। हाई व प्लस टू स्कूलों में छात्राओं के लिए पोशाक के लिए राशि देने का प्रावधान नहीं था। स्कूल ड्रेस के आभाव के कारण लड़कियों स्कूल नहीं छोड़े, के साथ राज्य सरकार ने इस योजना की शुरुआत की है।

राज्य में बालिकाओं को माध्यमिक शिक्षा की ओर ध्यान आकृष्ट करने के उद्देश्य से प्रोत्साहन के रूप में वर्ग नवम से +2 तक की कक्षा में शिक्षा ग्रहण कर रही प्रत्येक छात्रा को पोशाक क्रय हेतु प्रति छात्रा 1500 रु० दिए जाते हैं।

मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना

यह योजना बिहार सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2008-09 से संचालित है। इस योजना के अन्तर्गत राजकीय/राजकीयकृत/सहायता प्राप्त (अल्पसंख्यक विद्यालय सहित) प्रारंभिक विद्यालय के वर्ग VI VII में नामांकित प्रत्येक छात्र-छात्राओं को पोशाक एवं शिक्षण सामग्री हेतु 1000 रु० नगद राशि विद्यालय शिक्षा समिति के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है। इस राशि से प्रत्येक छात्र-छात्रा को दो सेट .स्कूल पोशाक तथा एक जोड़ी जूते एवं राशि की बचत होने की स्थिति में स्टेशनरी का क्रय छात्र/छात्राओं उनके माता-पिता के द्वारा किया जाता है किसी छात्र-छात्रा द्वारा अगर इन सामग्रियों का क्रय पहले ही कर लिया जाता है तो भी उन्हें भी पूरी राशि हस्तांतरित कर दी जाती है।

मुख्यमंत्री पोशाक योजना

बिहार सरकार द्वारा वर्ष 2009-10 से मुख्यमंत्री पोशाक योजना संचालित है। इस योजना के अन्तर्गत राजकीय / राजकीयकृत/सहायता प्राप्त (अल्पसंख्यक विभाग सहित) प्रारंभिक विद्यालय के वर्ग तीन से पाँच में नामांकित प्रत्येक छात्र-छात्राओं को 700 रु० नगद प्रदान किया जाता है।

इससे दो सेंट स्कूल पोशाक तथा एक जोड़ी जूते एवं राशि बचने पर स्टेशनरी का क्रय छात्र-छात्राओं या उनके माता-पिता द्वारा किया जाता है, जो छात्राएँ पहले ही पोशाक बनवा लेते हैं, उन्हें भी पूरी राशि हस्तांतरित की जाती है। कक्षा एक से दो के सभी बालिका एवं एस. सी. / एस. टी. गरीबी रेखा से नीचे के श्रेणी के सभी बालक का सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत ₹600 की दर से तथा वर्ग 6 से 8 के एस. सी./एस. टी./गरीबी रेखा से नीचे के सभी छात्रों को भी सर्व शिक्षा अभियान के तहत 800 रु० दिया जाता है।

इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना

बिहार राज्य में कई पेंशन योजनाएँ चल रही है। कुछ केन्द्रीय पेंशन योजनाएँ है तो कुछ राज्य की अपनी इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना केन्द्र पोषित पेंशन योजना है। इस योजना के अन्तर्गत गरीबी रेखा से नीचे के परिवार के 60-79 वर्ष आयु के वृद्ध व्यक्ति को 400 रु० प्रतिमाह पेंशन दिया जाता है जिसमें से केन्द्र सरकार द्वारा 200 रु० तथा बिहार सरकार द्वारा 200 रु० अंशदान दिया जाता है। वहीं 80 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग के वृद्ध व्यक्ति को 500 रु० प्रतिमाह पेंशन दिया जाता है जिसमें शत-प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार देती है। इस योजना का आवेदन प्रखण्ड में जमा किया जाता है। इस योजना की स्वीकृति पदाधिकारी अनुमण्डल पदाधिकारी है।

इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना

इस योजना की शुरूआत वर्ष 2009-10 से विधवाओं का आर्थिक सहायता प्रदान करने हेतु राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के अंग के रूप में गई थी। इस योजना के अन्तर्गत गरीबी रेखा के नीचे के परिवार के 40-79 वर्ष आयु वर्ग के विधवा महिला को 400 रु० प्रतिमाह पेंशन दिया जाता है। जिसमें 300 रु० केन्द्र का तथा 100 रु० बिहार सरकार का अंशदान रहता है।

80 वर्ष या इससे अधिक आयु होने पर इस योजना के पेंशनधारी को इंदिरा गाँधी वृद्धावस्था पेंशन योजना में स्थानांतरित कर दिया जाता है। यह केन्द्रीय पेंशन योजना है जिसमें कुछ अंश बिहार सरकार का भी है। इसके लिए आवेदन प्रखण्ड में जमा होगा तथा स्वीकृति पदाधिकारी अनुमण्डल पदाधिकारी होता है।

इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय निशक्तताः पेंशन योजना

यह योजना केन्द्रीय पोषित योजना है। इस योजना के अन्तर्गत गरीबी रेखा से नीचे के परिवार के 18-79 वर्ष की आयु वर्ग के 80% या उससे अधिक विकलांगता वाले निःशक्त व्यक्ति को 400 रु० प्रतिमाह पेंशन दिया जाता है जिसमें 300 रु० केन्द्र का 100 रु० राज्य का अंश होता है।

80 वर्ष आयु होने पर इस योजना के पेंशनधारी को इंदिरा गाँधी वृद्धावस्था पेंशन योजना में स्थानांतरित कर दी जाती है। इस योजना के लिए आवेदन प्रखण्ड कार्यालय में जमा होता है और प्रखण्ड विकास पदाधिकारी स्वीकृति पदाधिकारी होता है ।

लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना

लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना बिहार सरकार की अपनी योजना है। यह पेंशन योजना विधवाओं के लिए वर्ष 2007 में आरंभ किया गया था। इस योजना के अन्तर्गत 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की वैसी विधवा जिनकी वार्षिक आय 60,000 से कम हो या जो बी. पी. एल. परिवार की हो, परंतु इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना के अन्तर्गत आच्छादित नहीं है को 400 रु० प्रति माह

पेंशन दिया जाता है। इसमें शत-प्रतिशत राशि राज्य सरकार के द्वारा अंशदान किया। पाता है। इस योजना के लिए आवेदन प्रखण्ड कार्यालय में किया जाता है और इसकी स्वीकृति पदाधिकारी अनुमण्डल पदाधिकारी होता है। इस योजना के अन्तर्गत डिजिटाईज पेंशनधारियों की संख्या राज्य में 5.40 लाख है, जिसमें से 4.56 लाख पेंशनधारियों का खाता संख्या उपलब्ध है।

बिहार निशक्तता पेंशन योजना

बिहार निशक्तता पेंशन योजना में शत-प्रतिशत राशि राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है। यह पेंशन योजना वर्ष 2007 से लागू हुआ। इस पेंशन योजना के अन्तर्गत 40% या उससे अधिक विकलांगता वाले किसी भी आय एवं आयु वर्ग के व्यक्ति को जो इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय निःशक्तता पेंशन योजना के अन्तर्गत शामिल नहीं है, को पेंशन प्रदान किया जाता है।

इस योजना के अन्तर्गत पात्र लोगों को 400 रु० की राशि दी जाती है। आवेदक शारीरिक रूप से निशक्त होना चाहिए और उसके पास इस आशय का प्रमाणपत्र होना चाहिए। योजना का लाभ प्राप्त करने की न्यूनतम या अधिकतम आयु सीमा नहीं है। पेंशन प्राप्ति के लिए वार्षिक आय की कोई ऊपरी सीमा नहीं है। आवेदक कम-से-कम दस वर्ष से बिहार का निवासी होना चाहिए। इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन प्रखण्ड कार्यालय में जमा होगा और इस योजना की स्वीकृति पदाधिकारी प्रखण्ड विकास पदाधिकारी हैं।

राज्य सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना

राज्य सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना का शत-प्रतिशत राशि राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है। इस योजना के अन्तर्गत 60-64 वर्ष आयु वर्ग के वैसे वृद्ध व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय शहरी क्षेत्र में 5500 रु० है एवं ग्रामीण क्षेत्र में 5000 रु० हो, को 400 रु० प्रतिमाह पेंशन दिया जाता है। विमुक्त बंधुआ मजदूर के मामले में आय एवं उम्र का बंधन नहीं है। इस योजना की स्वीकृति पदाधिकारी वृद्ध व्यक्तियों के मामले में अनुमण्डल पदाधिकारी तथा बंधुआ मजदूर के मामले में जिला पदाधिकारी है।

भुगतान की नई पहल

सामाजिक सुरक्षा पेंशन भुगतान को सरल और बेहतर बनाने के उद्देश्य से सभी पेंशनधारियों को डी. बी. टी. (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से सीधे उनके बैंक खाते में राशि हस्तांतरित किया जा रहा है। 27 अक्टूबर 2016 को समाज कल्याण मंत्री द्वारा इसका उद्घाटन भी किया जा चुका है।

मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना

मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। राज्य में भिक्षावृत्ति की कुप्रथा का उन्मूलन और भिक्षावृत्ति में संलग्न लोगों के पुनर्वास करने के उद्देश्य से यह योजना प्रारंभ किया गया है। इस योजना के तहत भिक्षुओं को पहचान कर उनकी पहचान पत्र वितरित करते हुए सरकार के विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जुड़ाव स्थापित करना, कौशल प्रशिक्षण के द्वारा रोजगार से जुड़ाव स्थापित करना वृद्ध, पूर्णत: निशक्त एवं लावारिस अवस्था में पाए जाने वाले भिक्षुओं को आवासीय सुविधा उपलब्ध कराना एवं नशा विमुक्तिकरण के द्वारा उनका पुनर्वास सुनिश्चित करना है ।

इस योजना के अन्तर्गत भिक्षुओं का सर्वेक्षण एवं पहचान पत्र वितरण स्वास्थ्य जाँच एवं विकलांगता प्रमाणीकरण शिविर का आयोजन, सेवा कुटीर एवं शांति कुटीर (पुनर्वास गृह) की स्थापना, कौशल विकास एवं आवासीय प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना, बसेरा की स्थापना, वस्त्र वितरण, समुदाय आधारित बचत समूह का गठन, उत्पादक समूह का गठन आदि किया गया है।

कबीर अन्त्येष्टि अनुदान योजना

कबीर अन्त्येष्टि अनुदान योजना के अन्तर्गत बी. पी. एल. परिवार के किसी भी आयु के व्यक्ति की मृत्यु पर उसके अंत्येष्टि क्रिया हेतु परिवार को 3000 रु० की एकमुक्त सहायता राशि दी जाती है। इस योजना का प्रारंभ राज्य भर में वर्ष 2007 में किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में मुखिया और शहरी क्षेत्रों में वार्ड कमिश्नर के पास नगद भुगतान हेतु राशि की व्यवस्था भी रहती है। भुगतान के लिए आवेदक को मुखिया/वार्ड कमिश्नर के पास सादे कागज पर आवेदन कर राशि का तुरंत भुगतान प्राप्त किया जा सकता है ।

बिहारी शताब्दी कुष्ठ कल्याण योजना

बिहार शताब्दी कुष्ठ कल्याण योजना के अन्तर्गत Visible Deformities Grade-II के कुष्ठ रोगी को भोजानादि हेतु 1500 रु० प्रतिमाह कुष्ठ रोगी दर से आर्थिक सहायता दी जाती है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य जीविकोपार्जन में असमर्थ कुष्ठ रोगियों को भिक्षावृत्ति से दूर रखना है। वर्ष 2016-17 में 15 करोड़ का बजट उपलब्ध किया गया है जिसमें से 10 करोड़ रु० इस मद में खर्च भी हो गए हैं।

राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना

इस योजना का कार्यान्वयन सरकार द्वारा बी. पी. एल. वाले परिवारों की आर्थिक सहायता के लिए किया जाता है। इसके अन्तर्गत 18 से 60 वर्ष की आयु वर्ग के कमाऊ सदस्य के अकस्मात् मृत्यु पर उसके आश्रित को एकमुश्त 20000 रु की आर्थिक सहायता दी जाती है। इससे शत प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार द्वारा प्राप्त होती है।

मुख्यमंत्री परिवार लाभ योजना

मुख्यमंत्री परिवार लाभ योजना के अन्तर्गत किसी भी उम्र के व्यक्ति की दुर्घटना में मृत्यु या 18 से 60 वर्ष आयु वर्ग के व्यक्ति को अपराधिक घटना में होने की स्थिति में उसके आश्रित परिवार/निकटस्थ संबंधों को एकमुश्त 20000 रु की सहायता दी जाती है।

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मुख्यमंत्री विकलांग सशक्तीकरण योजना (सम्बल)

इस योजना का प्रारंभ वर्ष 2012-13 में किया गया। विकलांगजनों के हितार्थ पूर्व में संचालित योजनाएँ जो अलग-अलग शीर्ष के तहत स्वीकृत थे जिनका सम्बल योजना में एक शीर्ष के तहत एकीकृत किया तथा नवघटकों को भी इसमें शामिल किया गया ।

घटकवार योजना का विवरण

(i) कृत्रिम अंग एवं उपकरण वितरण –

इस योजना के तहत जरूरतमंद निःशक्तजनों को साइकिल, ट्राई साइकिल, तिपहिया, श्रवण यंत्र, वैशाखी, कैलीपर आदि उपकरण एवं कृत्रिम अंग प्रदान किया जाता है। कोई भी ऐसी स्त्री-पुरुष जिनका उम्र चलन्त निशक्त के लिए 14 वर्ष से अधिक हो, विकलांगता न्यूनतम 40% तथा जिनकी आयु एक लाख वार्षिक हैं, वे इस योजना के पात्र होंगे ।

(ii) विकलांग छात्रवृत्ति –

इस योजना का उद्देश्य सरकारी विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय, तकनीकी संस्थान में अध्ययनरत वर्ग से स्नानोकोत्तर तक के निःशक्त छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति प्रदान करना है। न्यूनतम विकलांगता 40% एवं आय दो लाख वार्षिक तक के लोगों की इस योजना का लाभ प्राप्त होते हैं ।

(iii) विकलांगजनों का सर्वेक्षण एवं प्रमाणीकरण –

राज्य में निःशक्तजनों का सर्वेक्षण एवं विकलांगता प्रमाणीकरण पंचायत प्रखण्ड स्तर पर विशेष शिविर का आयोजन कर समय-समय पर किया जाता है, उक्त शिविर में चिकित्सक दल द्वारा जांचोपरांत विकलांगता प्रमाण पत्र दिया जाता है।

(iv) मुख्यमंत्री निःशक्तजन शिक्षा एवं स्वरोजगार योजना –

राज्य के छात्र/छात्राओं को शिक्षा हेतु ऋण उपलब्ध कराना, 18 से 30 वर्ष की उम्र के छात्र/छात्राओं जो मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान से उच्च शिक्षा ग्रहण करना चाहते हैं, उनका 4% वार्षिक ब्याज की दर से अधिकतम पाँच लाख ऋण दिए जाने का प्रावधान है। नि:शक्तजन जिनकी उम्र 18 से 65 वर्ष के बीच में है, उन्हें रोजगार हेतु 5% वार्षिक ब्याज की दर से अधिकतम 1.5 लाख ऋण दिए जाने का प्रावधान है। निःशक्तजन जिनके परिवार की वार्षिक आय: (शहरी क्षेत्र में दो लाख अधिकतम एवं ग्रामीण क्षेत्र में 1.60 लाख) पात्रता के रूप में है।

(v) विशेष विद्यालयों का उत्क्रमण –

राज्य के पटना, भागलपुर, मुंगेर एवं दरभंगा में आठ विशेष विद्यालय संचालित हैं जिसमें 05 मुक बधिर विद्यालय एवं 03 नेत्रहीन बच्चों के लिए विद्यालय संचालित है। (vi) मानसिक विकलांग बच्चों के लिए दिवाकालीन विद्यालय ‘चमन’ का संचालन राज्य के दरभंगा, छपरा, भागलपुर, सहरसा एवं पूर्णियाँ जिला में गैर सरकारी स्वयंसेवी संस्था के माध्यम से संचालन हेतु स्वीकृति प्राप्त है।

(vii) दृष्टिहीन बालिकाओं के लिए विशेष आवासीय विद्यालय ‘दृष्टि’ संचालन –

राज्य के वर्ष तक के आयु के नेत्रहीन बालिकाओं के लिए विशेष आवासीय विद्यालय का संचालन दरभंगा, बांका, पश्चिमी चम्पारण, सुपौल, गया, किशनगंज एवं पटना जिला में गैर सरकारी स्वयंसेवी संस्था के माध्यम से संचालन का प्रस्ताव है।

(viii) मूक बघिर बालिकाओं के लिए विशेष आवासीय विद्यालय ‘कोशिश’ का संचालन –

राज्य के 18 वर्ष तक की आयु के मूक बधिर बालिकाओं के लिए विशेष आवासीय विद्यालय का संचालन, पूर्वी चंपारण एवं भागलपुर जिला में गैर सरकारी स्वयंसेवी संस्था के माध्यम से करने का प्रस्ताव है।

(ix) मानसिक विकलांग पुरूषों के लिए आश्रय गृह ‘साकेत’ का संचालन –

राज्य के 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के मानसिक विकलांग पुरूषों के पुनर्वास हेतु आश्रय गृह का संचालन मुंगेर मुजफ्फरपुर एवं सहरसा जिला में गैर सरकारी स्वयंसेवी संस्था के माध्यम से संचालन करने का प्रस्ताव है ।

(x) मानसिक विकलांग महिलाओं के लिए आश्रयगृह ‘आशियाना’ का संचालन-

राज्य के 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के मानसिक विकलांग महिलाओं के पुनर्वास हेतु आश्रयगृह का संचालन पूर्णिया, नवादा एवं दरभंगा जिले में गैर सरकारी स्वयंसेवी संस्था के माध्यम से करने हेतु स्वीकृति प्राप्त है।

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समेकित बाल विकास सेवा योजना

समेकित बाल विकास सेवा योजना केन्द्र प्रायोजित योजना है जो 1975 में प्रारंभ हुआ। यह प्रारंभिक बाल्यावस्था देख-भाल और विकास के लिए एक अनूठा सर्वव्यापी समुदाय आधारित कार्यक्रम है, जिसके अन्तर्गत बच्चों और महिलाओं की बहुआयामी तथा पारस्परिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कारगर तथा कम लागत पर सेवाएँ दी जाती है। समेकित रूप से छह सेवाएँ 0-6 वर्ष के बच्चों, गर्भवती तथा धात्री महिलाओं व किशोरी बालिकाओं को इस कार्यक्रम द्वारा प्रदान किया जाता है। ये सेवाएँ हैं- पूरक पोषाहार, स्कूल पूर्व शिक्षा, टीकाकरण, स्वाध्य एवं जाँच, पोषण एवं स्वास्थ्य, शिक्षा और संदर्भ सेवाएँ। राज्य के सभी जिलों में 38 जिला प्रोग्राम कार्यालय एवं सभी प्रखण्डों में 544 बाल विकास परियोजना कार्यालय स्वीकृत एवं संचालित है।

पूरक पोषाहार कार्यक्रम

राज्य के सभी 38 जिलों के 544 बाल विकास परियोजनाओं में कुल स्वीकृत 91677 आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से 6 माह से 6 वर्ष के सभी सामान्य, कुपोषित बच्चों, सभी अति कुपोषित बच्चों एवं सभी गर्भवती/शिशुवती महिला को पूरक पोषाहार प्रदान करने का प्रावधान रखा गया है। इसके अलावे भारत सरकार से नव स्वीकृत 23041 आंगनबाड़ी केन्द्र स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है ।

आंगनबाड़ी केन्द्र के बच्चों के लिए पोशाक योजना

राज्य के बाल विकास परियोजना के अन्तर्गत कार्यरत सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर स्कूल पूर्व शिक्षा प्राप्त कर रहे 3-6 वर्ष आयु के सभी बच्चों को 250 रू० वार्षिक लागत की दर पर पोशाक की राशि दी जाती है। पोशाक की राशि राज्य सरकार देती है।

एम० आई० एस० प्रणाली

यह राज्य योजना है। आई० सी० डी० एस० योजना के अन्तर्गत मैनेजमेंट इनफॉरमेशन सिस्टम को सुदृढ़ करने हेतु राज्य स्तर पर डाटा सेंटर की स्थापना की गई है। जिला परियोजना स्तर पर संबंधित कार्यालयों को कम्प्यूटर की व्यवस्था की गई है। साथ ही उक्त कार्यालयों में कम्प्यूटर के संधारण हेतु बेल्ट्रान / जिला स्तरीय पैनल से डाटा इन्ट्री ऑपरेटर की सेवाएँ उपलब्ध कराई गई है।

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राजीव गाँधी किशोरी सबलीकरण योजना (सबला)

11 से 18 वर्ष के किशोरियों के आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य से किशोरियों के लिए विशेष हस्तक्षेप के बतौर ‘सबला’ योजना का आरंभ नवम्बर 2010 में किया गया जिसका विशेष फोकस पढ़ाई छोड़ने वाली लड़कियाँ थी। सबला योजना का लक्ष्य उनके गृह कौशल, जीवन कौशल और व्यावसायिक कौशल के उन्नयन के अलावा उनकी पोषण और स्वास्थ्य संबंधी स्थिति में सुधार लाना है। यह केन्द्र प्रोयोजित योजना है। बिहार राज्य में यह योजना 2011-12 में प्रारंभ किया गया। राज्य के 12 जिले में यह योजना लागू है। इस योजना का क्रियान्वयन समेकित बाल विकास योजना के प्लेटफार्म से किया जा रहा है और

आंगनबाड़ी केन्द्र सेवा प्रदान का अभिकर्ता है। योजना के अन्तर्गत किशोरियों को आंगनबाड़ी केन्द्रों में ‘सूखा राशन’ या ‘गर्म पके राशन’ की शक्ल में 6000 किलो कैलोरी ऊर्जा देने वाला पूरक पोषाहार और

18-20 ग्राम प्रोटीन तथा सूक्ष्म पोषक तत्व प्रतिदिन उपलब्ध कराए जाते हैं। सबला के पोषण संबंधी घटक के व्यय में केंद्रांश एवं राज्यांश का अनुपात 60 40 है। कार्यक्रम के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए इस योजना में स्वास्थ्य शिक्षा, युवा कार्य एवं खेलकूद और पंचायती राज संस्थाओं के तहत चलने वाली विभिन्न कार्यक्रमों के कनवर्जेस पर भी जोर दिया जाता है।

इंदिरा गाँधी मातृत्व सहयोग योजना

मातृ अल्पपोषण और रक्ताल्पता से ग्रस्त महिलाओं को देखते हुए केन्द्र सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने गर्भवती और शिशुवती महिलाओं के लिए इंदिरा गाँधी मातृत्व सहयोग योजना नामक एक नई योजना 2010 में लागू किया। बिहार में यह योजना वित्तीय वर्ष 2011-12 में लागू किया गया। अभी यह योजना बिहार के दो जिले सहरसा और वैशाली में चल रही है।

योजना के लागू होने के समय शत प्रतिशत वित्त पोषण केन्द्र सरकार करती थी। वर्ष 2015-16 में वित्त पोषण के पैटर्न को पुनरीक्षित किया गया है और व्यय में केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा व्यय में 60 40 अनुपात में भागीदारी दी जाती है। पहली किश्त का भुगतान गर्भावस्था के तीसरी तिमाही यानि सातवें से नौवें महीने के बीच किया जाता है और विशेष शर्तें पूरी करने पर दूसरी किश्त का भुगतान प्रसव के छह महीने बाद दी जाती है। कुछ शर्तें पूरी करने पर 19 वर्ष या उससे ऊपर की माताओं को पहले दो जीवित प्रसवों तक के लिए नगद प्रोत्साहन राशि का सीधा भुगतान किया जाता है ।

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मिशन मानव विकास

मिशन मानव विकास के अन्तर्गत कुपोषण मुक्त बिहार अभियान की रूपरेखा तैयार की गई है एवं समाज कल्याण विभाग द्वारा इस अभियान की सफलता हेतु सभी आवश्यक कार्रवाई को पूरा कर 11 अक्टूबर, 2014 से बाल कुपोषण मुक्त बिहार अभियान सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर किया गया है। इस अभियान के अन्तर्गत जन्म के तुरंत बाद स्तनपान, जन्म के छह माह तक केवल माँ का दूध, सातवें महीने के शिशु के आहार की शुरूआत, बाल्यावस्था में रोगों से बचाव, स्वच्छ पानी की सेवा, साफ-सफाई, बच्चों की वृद्धि निगरानी, 36 माह तक बच्चों के लिए पूरक आहार, आंगनबाड़ी एवं बच्चों की दवाइयों की उपलब्धता आदि पर जोर दिया जा रहा है। यह योजना जनवरी 2015 से चलाई गई है।

परवरिश

राज्य सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसके अन्तर्गत अनाथ एवं बेसहारा बच्चों एवं दुसाध्य रोगों से पीड़ित बच्चों एवं दुसाध्य रोगों के कारण विकलांगता के शिकार माता-पिता के संतानों को समाज में बेहतर पालन-पोषण एवं उनकी गैर संस्थानिक देख-रेख को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान भत्ता दिया जाता है।

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बिहार शताब्दी एड्स पीड़ित योजना

एड्स कंट्रोल सोसायटी स्वास्थ्य विभाग, बिहार पटना की सहायता से संचालित इस योजना के तहत एड्स रोगियों को मुफ्त भोजन के लिए 1500 रु० को आर्थिक सहायता दी जाती है।

वृद्धा आश्रम निर्माण

सरकार द्वारा पवन निर्माण विभाग के माध्यम से पटना गया तथा पूर्णिया जिला में वृद्धाश्रम निर्माण कराया जा रहा है।

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ओल्ड एज होम सहारा

वृद्धजनों के हितार्थ स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से ‘सहारा’ कार्यक्रम के अन्तर्गत पटना, गया, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया तथा भागलपुर में वृद्धाश्रम संचालित किया जा रहा है। इसमें प्रति वृद्धाश्रम 50 वृद्धजनों का आवास का लाभ मिलेगा ।

बिहार समेकित सामाजिक सुरक्षा सुदृढ़ीकरण परियोजना (BISPS)

इस योजना के तहत सामाजिक सुरक्षा से जुड़े योजनाओं के कार्यान्वयन की प्रक्रिया का सुदृढ़ीकरण एवं क्षमतावर्द्धन, निशक्त, वृद्ध तथा विधवाओं के लिए सामाजिक सुरक्षा एवं देखभाल की स्थापना एवं विस्तारीकरण किया जाना है। इस योजना के कार्यान्वयन में विश्व बैंक की भागीदारी है। योजना का कार्यान्वयन हेतु स्टेट सोसायटी फॉर अल्ट्रा पुअर एण्ड सोशल वेलफेयर (SSUPSW) ‘सक्षम’ द्वारा किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री निःशक्तजन विवाह प्रोत्साहन योजना

बिहार में वित्तीय वर्ष 2016-17 में इस योजना का प्रारंभ किया गया है। इस योजना के अन्तर्गत पुरुष / महिला के विवाह प्रोत्साहित करने के लिए अधिकतम परिपक्वता राशि देने वाले राष्ट्रीय बैंकों के सावधि जमा के माध्यम अनुदान के रूप में देने का प्रावधान है। 1,00000 रु०

आसरा

यह समाज कल्याण निदेशालय द्वारा संचालित है। उत्तर रक्षा गृह एवं बालिका गृह (निशांत) पटना में मानसिक विक्षिप्त/मानसिक विकलांग आवासियनों की उचित देख-रेख काउन्सिलिंग शिक्षण, प्रशिक्षण के लिए स्वयंसेवी संस्था के माध्यम से राज्य के पटना जिला में 50 महिलाओं/लड़कियों की आवासीय क्षमता वाले आसरा गृह का संचालन जागेश्वरी स्मारक मूक एवं वधिर संस्थान पटना में किया जा रहा

मानव व्यापार एवं पीड़ितों के पुनर्वास हेतु कार्यक्रम अस्तित्व

‘अस्तित्व’ कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं एवं बच्चों के अनैतिक पणन की रोकथाम एवं उन्मूलन हेतु इससे संबंधित स्रोत, पारगमन एवं माँग क्षेत्र में उचित कार्रवाई करना तथा पीड़ितों को पुनर्वासित करना है। मानव व्यापार के रोकथाम हेतु समाज कल्याण विभाग द्वारा पुलिस स्वैच्छिक संस्थाओं एवं अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं के सहयोग से व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम का लक्ष्य मानव व्यापार मुक्त बिहार बनाना है।

मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति एवं जनजाति मेधावृत्ति योजना

इस योजना की शुरूआत वर्ष 2008-09 में हुई। इसके तहत बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाले हर अजा/अजजा विद्यार्थी को 10,000 रु० छात्रवृत्ति दी जाती है। योजना के तहत द्वितीय श्रेणी में उतीर्ण होने वाले हर अजा/अजजा विद्यार्थी को 8,000 रु० छात्रवृत्ति दी जाती है । राज्य सरकार ने अजा/अजजा छात्राओं को उच्च माध्यमिक परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उतीर्ण होने पर 15,000 रु० पुरस्कार देने का निर्णय किया है। द्वितीय श्रेणी में उतीर्ण होने पर 10,000 रु० का पुरस्कार दिया जाता है ।

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मुख्यमंत्री अत्यंत पिछड़ा वर्ग मेधावृत्ति योजना

बिहार सरकार द्वारा अत्यंत पिछड़ा वर्ग के छात्र/छात्राओं को शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने तथा ऐसे विद्यार्थी जो ग्रामीण क्षेत्रों में विपरीत परिस्थितियों में रहकर पढ़ रहे हैं, उन्हें आगे बढ़ाने के उद्देश्य से वित्तीय वर्ष 2008-09 में यह योजना शुरू की गई। इस योजना के अन्तर्गत बिहार राज्य के स्थायी निवासी विद्यार्थियों को, जिन्होंने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के 10वीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हर छात्र/छात्राओं को 10,000 एकमुश्त पुरस्कार दिया जाता है।

मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना

इस योजना के तहत मैट्रिक में प्रथम श्रेणी में उतीर्ण होनेवाले अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को 10,000 रु० तथा द्वितीय श्रेणी में उतीर्ण होने वाले विद्यार्थियों को 8,000 रु० मिलता है। अल्पसंख्यक छात्राओं को कक्षा 12 में प्रथम श्रेणी में उतीर्ण होने पर 15,000 रु० और द्वितीय श्रेणी में उतीर्ण पर 10,000 रु० मिलता है

मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग मेधावृत्ति योजना

इस योजना के तहत बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की दसवीं परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण पिछड़ा वर्ग के वैसे परिवार के छात्र छात्राओं जो बिहार के निवासी हैं और जिनके अभिभावक की वार्षिक आय 1.50 लाख या उससे कम है, को मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग मेधावृत्ति योजना के अन्तर्गत प्रति छात्र 10,000 की दर से वृतिका दिया जाता है।

मुख्यमंत्री बालिका प्रोत्साहन योजना

इस योजना के तहत बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित 10वीं परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण सामान्य एवं पिछड़ा वर्ग-2 की छात्राओं को 10,000 रुपया प्रति छात्र भुगतान किया जाता है। राशि उन्हीं छात्राओं को दी जाती है, जो 10वीं परीक्षा में उतीर्ण होकर +2 की परीक्षा में अध्ययनरत हो ।

मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष

इस योजना का शुभारंभ बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किया गया है। इस योजना के तहत राज्य में असाध्य रोग से पीड़ित व्यक्तियों को उपचार हेतु सहायता राशि प्रदान की जाती है। इस योजना के लाभार्थी वो होंगे जो रोगी बिहार का नागरिक है, रोगी के प्रति वर्ष आय एक लाख से कम है और रोगों से संबंधि त चिकित्सा राज्य सरकार के अस्पताल एवं C.G.H.S. से मान्यता प्राप्त सभी अस्पतालों में हो।

हाल ही में राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष योजना की राशि में काफी वृद्धि की घोषणा की है। गंभीर बीमारियों में मुख्यमंत्री 12 लाख, स्वास्थ्य मंत्री 7 लाख व स्वास्थ्य सचिव 3 लाख तक की सहायता राशि दे सकेंगे। इसमें तीन नई बीमारियों बोन मैरो ट्रांसप्लांट सर्जरी, हिमोफीमिया व ट्रांसजेंडर को शामिल किया गया है। पूर्व से इस योजना में शामिल गंभीर बीमारियाँ-कैंसर, एड्स, ब्रेन रोग, नेत्र रोग, स्पाइनल सर्जरी, मेजर वासकुलर सर्जरी, गुर्दा प्रत्यारोपण काकलियर, इम्पलांट, आर्थोपेडिक टोटल हिप रिप्लेंसमेंट, टोटल नी रिप्लेसमेंट और ‘प्लास्टिक सर्जरी’ एसिड अटैक है

महादलित विकास मिशन

राज्य महादलित आयोग का गठन आर्थिक और सामाजिक स्थिति के लिहाज से पिछड़े अनुसूचित जातियों का सशक्तीकरण के लिए वर्ष 2007 में किया गया । बिहार की 22 अनुसूचित जातियों को महादलित श्रेणी में रखा गया है। इस वर्ग के उत्थान और सशक्तीकरण के लिए राज्य सरकार ने कई विशेष कार्यक्रम चलाया हुआ है। इसमें मुख्य है, दशरथ माझी कौशल विकास मिशन, बिहार मित्र, रेडियो योजना, अक्षर आंचल योजना, सहायता कॉल सेंट आदि।

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