अमल, उत्थान, और प्रेरणा: डॉ० भीमराव अंबेडकर (1891-1956) 

अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के मऊ में एक अस्पृश्य समुदाय महार में हुआ था। उनके पिता जो सेना में सूबेदार थे, बम्बई प्रांत के रत्नागिरि जिले के अंबद नामक स्थान के रहने वाले थे। उनका उपनाम अंबावाडेकर, अपने गांव के नाम पर रखा गया जो बाद में अंबेडकर के रूप में स्कूल में बदल गया।

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अध्ययन और अनुसंधान

Dr. Bhimrao Ambedkar

1913 में वे न्यूयार्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय चले गए जहां उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की शिक्षा पाई तथा 1926 में डॉक्टर की उपाधि प्रदान की, इसी अंतराल में उन्होंने 1916 में लंदन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स में वकालत की पढ़ाई की। एक साल बाद आर्थिक समस्या के कारण उन्हें बीच में ही पढ़ाई बंद करनी पड़ी। 1921 में उन्होंने पुनः लंदन में अपनी पढ़ाई शुरू की तथा मास्टर्स इन साइंस (M.Sc.) एवं डॉक्टर्स इन साइंस (D.Sc.) की उपाधियां क्रमशः 1921 एवं 1923 में प्राप्त कीं।

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राजनीतिक करियर

1924 में अंबेडकर बंबई उच्च न्यायालय में वकालत शुरू करने के लिए भारत आए। उसी वर्ष उन्होंने अस्पृश्यों के भौतिक एवं नैतिक विकास के लिए बंबई में ‘बहिष्कृत हितकारिणी सभा’ स्थापित की। 1927 में उनके द्वारा एक मराठी पाक्षिक पत्रिका ‘बहिष्कृत भारत’ तथा नवंबर 1930 में साप्ताहिक पत्रिका ‘जनेता’ का प्रकाशन किया गया। 1927 में अंबेडकर द्वारा अन्य संस्था ‘समाज समता बंध’ की स्थापना की गई जिसका उद्देश्य हिंदू जाति एवं निम्न जातियों के बीच सामाजिक एकता के सिद्धांत को बढ़ावा देना था।

सत्याग्रह और राजनीतिक दल

1927 में अंबेडकर ने अस्पृश्यों को सार्वजनिक तालाब से पानी निकालने का अधिकार दिलाने हेतु कोलाबा जिले के मलाड नामक स्थान पर सत्याग्रह शुरू किया। 1930 में उन्होंने नासिक के प्रसिद्ध मंदिर कालाराम में अपने समुदाय के लोगों को प्रवेश दिलाने के लिए दूसरा सत्याग्रह शुरू किया

इसी बीच उन्हें दलित वर्ग का नेता बना दिया गया तथा बंबई में (1926-34) वे वैधानिक परिषद के मनोनीत सदस्य बने। उन्हें गोलमेज सम्मेलन का औपचारिक सदस्य घोषित किया गया। ब्रिटिश सरकार के कम्यूनल एवार्ड के बाद, गांधी एवं अंबेडकर के बीच एक संधि हुई जिसे ” पूना पैक्ट” के नाम से जाना जाता है। यह संधि आम हिंदू निर्वाचन क्षेत्रों में दलित वर्ग को आरक्षण देने के संबंध में की गई थी।

अन्य योगदान और संगठन

1936 में ‘इंडीपेंडेंट लेबर पार्टी’ की स्थापना की गई जिसने 1936-37 के आम चुनाव में सभी अनुसूचित जाति की सीटों पर कब्जा कर लिया। 1942 में उन्होंने अखिल भारतीय अनुसूचित जाति संघ (ऑल इंडिया शेड्यूल कास्ट फेडरेशन) का एक राजनैतिक दल के रूप में गठन किया। अपने समुदाय के लोगों के शैक्षिक विकास के लिए उनके द्वारा लोक शिक्षा समिति ‘पीपुल्स एजुकेशन सोसाइटी’ की जुलाई 1945 में स्थापना की गई।

अंबेडकर ने गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद के श्रम सदस्य के रूप में 1942-46 तक काम किया। बाद में उन्हें कांग्रेस द्वारा संविधान सभा में नामजद किया गया जहां उन्होंने बहसों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में विधि मंत्री होने के अलावा, वे संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष भी थे। हिंदू कोड बिल की प्रारूपता में भी उन्होंने सांकेतिक भूमिका निभाई थी जिसके कारण उन्हें ‘आधुनिक मनु’ कहा जाता है। उनकी महत्त्वपूर्ण पुस्तकें ‘कास्ट इन इंडियाः देयर मैकेनिज्म, जेनेसिस एंड डेवलपमेंट’ (1960) तथा ‘पाकिस्तान या पार्टिशन इन इंडिया’ (1946), थी।

उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में सभी महार गोपाल बाबा वालंगकर के नेतृत्व में एकत्रित हुए, जो एक भूतपूर्व सैनिक थे। उनके द्वारा सरकारी नौकरियों एवं सेना में अधिक नौकरियों की मांग की गई।


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Author

  • Sujata Pandey

    Sujata Pandey has completed her Master of Social Work (MSW) and works as an editor and writer with SarkariExamHelp.com and other educational portals. With 6 years of experience, she is passionate about writing on topics related to Sarkari Yojana, government jobs, and the latest news. Currently, she covers a wide range of subjects related to education, social welfare, and jobs.

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