happy engineers day | engineers day speech in Hindi – आज डॉ. विश्वेश्वरैया जी की 160वीं जयंती है। आज ही के दिन भारत देश के सबसे नामी इंजीनियर महान विव्दवान का जन्म हुआ। 15 सितंबर 1860 को जन्मे डॉ. विश्वेश्वरैया का जीवन उपलब्धियों से भरा है।
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अभियंता दिवस (Engineers Day) 15th September को क्यों मनाया जाता है?
15 सितंबर के दिन देश के महान इंजीनियर भारत रत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्मदिन पर समर्पित इंजीनियर दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनका जन्म 15 सितंबर 1861 को मैसूर (कर्नाटक) रियासत मैं हुआ| वह भारत के सिर्फ महान इंजीनियर ही नहीं बल्कि अर्थशास्त्री, स्टेटसमैन भारत रत्न, आधुनिक भारत के राष्ट्र निर्माता के रूप में भी जाने जाते हैं। विश्वेश्वरैया महान इंजीनियर होने के साथ भारत को नया रूप दिया । आधुनिक भारत की रचना में उसका महत्त्वपूर्ण योगदान हैं।
हैदराबाद सिटी को बनाने का पूरा श्रेय विश्वेश्वरैया जी को ही जाता है। इसके अलावा विशाखापत्तनम बंदरगाह की रक्षा के लिए जो प्रणाली विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिससे सम्पूर्ण भारत में उनका नाम हो गया । विश्वेश्वरैया को मॉर्डन मैसूर स्टेट का पिता कहा जाता है। सन् 1995 में मोक्षागुंडम देश के सबसे सम्मानित पुरस्कार ‘भारत रत्न से सम्मानित हुए। उन्हें श्रद्धांजली देने के लिए देश भर में इंजीनियर डे मनाया जाता है। इन्होने मैसूर सरकार के साथ काम किया।
विश्वेश्वरैया जी द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्य –
- मैसूर साबुन फैक्ट्री
- परजीवी प्रयोगशाला
- मैसूर आयरन एंड स्टील फैक्ट्री
- श्री जयचमराजेंद्र पॉलिटेक्निक संस्थान
- बैंगलोर एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी
- स्टेट बैंक ऑफ़ मैसूर
- तिरुमला और तिरुपति के बीच सड़क निर्माण
- सेंचुरी क्लब
- मैसूर चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एवं यूनिवर्सिटी
- विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग की स्थापना
- इन सब के अलावा शैक्षिणक संस्थान एवं फैक्ट्री की भी स्थापना हुईं।
इंजीनियर एम. विश्वेश्वरैया
एम विश्वेश्वरैया साधारण इन्सान होने के साथ ही साथ एक आदर्शवादी, अनुशासन प्रिय व्यक्ति थे. वह समय के बहुत पाबंद व्यक्ति थे। उनके जीवन में समय का बहुत महत्व था। उन्हें हमेशा साफ कपड़े पसंद थे यही वजह था की जो भी उनसे मिलने आते उनके पहनावे से बहुत प्रभावित होते थे।
वे स्वस्थ के प्रति बहुत जागरूक थे। उन्हें फिट रहना पसंद था। 92 साल की उम्र में भी वे एकदम स्वस्थ और फिट थे और सामाजिक रूप से सक्रिय थे।
अपने जीवन के अंतिम समय में वे बिना किसी सहारे के इस संसार से विदा लिये। विश्वेश्वरैया जी को अपने काम से बहुत लगाव था। वे अपने काम को ही पूजा मानते थे। उनके द्वारा किए गए बहुत सी परियोजनाओं पर आज भी भारत गर्व महसूस करता है। ब्रिटिश शासन के समय भी विश्वेश्वरैया जी ने अपने काम के आगे किसी को भी बाधा नहीं बनने दिया।भारत के विकास में उनका निश्चय इतना अटल था कि सामने आने वाली हर बाधा को उन्होंने सामने से दूर किया।
एक बार डॉ. विश्वेश्वरैया जी को पेटेंट डिजाइन के लिए एक बडी रकम मिलनी थी, रॉयल्टी के रुप में लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया क्योंकि वे चाहते थे सरकार इस धन का उपयोग विकास के अन्य परियोजनाओं के लिए कर सके।डॉ. विश्वेश्वरैया को न केवल भारत सरकार व्दारा प्रशंसा मिली,बल्कि दुनिया भर से मानद पुरस्कार और सदस्यता भी प्राप्त हुई।
Sir Mokshagundam Visvesvaraya as a great engineer
- डॉ. विश्वेश्वरैया मैसूर के दीवान थे एवं उनका कार्यसमय 1912 से 1918 तक रहा।
- 1955 में डॉ. विश्वेश्वरैया जी को भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया।
- सार्वजनिक जीवन में योगदान के लिए किंग जॉर्ज पंचम ने उन्हे ब्रिटिश इंडियन एम्पायर के नाइट कमांडर से नवाजा।
डॉ. विश्वेश्वरैया के सम्मान में उनके जन्मदिवस के ही दिन देश में इंजीनियर्स डे मनाया जाता है।
डॉ. विश्वेश्वरैया जी का योगदानः(Contribution of Dr.VisvesvarayaJi)
- मंडया जिले में स्थित, उन्होने चीफ इंजीनियर्स की भूमिका निभाते हुए कर्नाटक मे कृष्ण सागर बांध का निर्माण किया।
- हैदराबाद के बाढ़ नियंत्रण सिस्टम बनाने के लिए चीफ इंजीनियर के तौर पर काम किया।
- उन्हे सिंचाई परियोजना के कारण विश्वभर में सराहना प्राप्त हुई।
- डॉ. विश्वेश्वरैया ने स्वचालित स्लुइस गेट बनाये जो बाद मे तिगरा डैम (मध्य प्रदेश) और केआरएस डैम (कर्नाटक) के लिए उपयोग किए गए।
101 साल की उम्र में 14 अप्रैल 1962 को डॉ. विश्वेश्वरैया इस दुनिया में नही रहे। उनका जीवन आज भी भारत देश के सभी इंजीनियर्स के लिऐ प्रेणार स्त्रोत है।
1895 और 1905 के बीच डॉ. विश्वेश्वरैया ने भारत के कई हिस्सों मे कार्य संभालाः(Between 1895 and 1905 Dr.Visvesvaraya took Up work in many parts of India)
- इन्होने जल निकासी प्रणाली में सुधार किया – हैदराबाद में.
- डॉ. विश्वेश्वरैया ने सिंचाई और पानी की बाढ़ के फाटकों की ब्लॉक प्राणाली शुरु की — बॉम्बे में.
- एशिया के सबसे बड़े बांध ‘केआरएस’ बांध के निर्माण का पर्यवेक्षण किया – मैसूर में.
- डॉ. विश्वेश्वरैया ने रेलवे ब्रिज प्रोजेक्ट और जलापूर्ति योजनाओं का हिस्सा रहे – बिहार एवं उडीसा में.
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