“क्रिसमस का त्योंहार” ‘इस क्रिसमस’ | History of Christmas in Hindi

History of Christmas in Hindi -Hello दोस्तों, Merry Christmas 2019 !! क्रिसमस आपके जीवन में हर्ष और उल्लास के साथ सफलता लेकर आये. आप अपनों से सहयोग और प्यार पाए।  SarkariExamHelp की पूरी टीम की तरफ से आप सभी पाठको को Merry Christmas !!  आज का हमारा ब्लॉग क्रिसमस की पूरी जानकारी लेकर आया है। आज हम आपको बताएँगे की इशु का जन्म कब और और कहाँ हुआ? इसे कैसे मानते है? इसाई धर्म को मानने वाले इस त्यौहार का साल भर बेसब्री से इन्तजार करते है। इस त्यौहार की रौनक भी मन को मोहने वाली है। Christmas Tree, सांता क्लॉज बच्चों के बीच बहुत आकर्षण का केंद्र बना रहता है।

आगे हम आपको इस त्यौहार का इतिहास, मान्यताएं, ईसा का जन्म, क्रिसमस ट्री की मान्यता, और संता क्लॉज से जुडी रोचक जानकारी बताएँगे।

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इतिहास : History of Christmas in Hindi

“क्रिसमस का त्योंहार” ‘इस क्रिसमस’ | History of Christmas in Hindi
“क्रिसमस का त्योंहार” ‘इस क्रिसमस’ | History of Christmas in Hindi

कई संस्कृतियों में एक सर्दियों का त्यौहार परंपरागत तरीके से मनाया जाने वाला सबसे लोकप्रिय त्यौहार है। एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ या ईसा मसीह के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व है।

आधुनिक क्रिसमस की छुट्टियों में एक दूसरे को उपहार देना, चर्च में समारोह, क्रिसमस का पेड़, सांता क्लॉज ( जिसे क्रिसमस का पिता भी कहा जाता है )

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ईसा का जन्म: Birth of Jesus Christ

ईसा के जन्म को लेकर न्यू टेस्टामेंट में एक कहानी है, इस कथा में कहा गया है कि ईश्वर ने अपना एक दूत ग्रैबियल एक लड़की मेरी के पास भेजा कि वह ईश्वर के पुत्र को जन्म देगी। मैरी एक कुंआरी, अविवाहित लड़की भी, यह कैसे संभव होगा ग्रैबियल ने कहा कि एक पवित्र आत्मा उसके पास आएगी उसे ईश्वर की शाक्ति से संपन्न बनाएगी।

जोसेफ और मैरी का विवाह हुआ मैरी गर्भवती थी पर प्रत्येक व्यक्ति को बैथलहम जाकर नामाखाना जरूरी था, सारी धर्मशालाएं, भरी हुई थी। जोसेफ मेरी को लेकर जगह जगह पर भटकता रहा अंत में एक अस्तबल में आधी रात के समय महाप्रभु ईसा का जन्म हुआ लोगों से कहा ट्ट ‘ इस नगर में एक मुक्तिदाता का जन्म हुआ है ’ ईसाइयों के लिए घटना का अत्यधिक महत्व है क्योंकि वे मानते हैं कि जीसस ईश्वर ईश्वर के पुत्र है इसाए क्रिसमस, उल्लास और खुशी का त्योहार है, इस दिन ईश्वर का पुत्र कल्याण के लिए पृथ्वी पर आया था।

क्रिसमस ट्री : जानिए इससे जुड़ी कुछ रोचक मान्यताएँ

पूरी दुनिया इस समय क्रिसमस का त्योहार क्रिसमस ट्री को सजाना बेहद खास माना जाता है। इस क्रिसमस ट्री का महत्व देखते हैं __

  • क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा जर्मनी से शुरू हुई थी। 19 वीं सदी की ये परंपरा इंग्लैंड में पहुंची जहां से पुरी दुनिया में फिर से फैल गई।
  • क्रिसमस ट्री की कहानी प्रभु यीशु के जन्म से शुरू होती है। जब उनका जन्म हुआ तब उनके पिता मरियम एवं जोसेफ को बधाई देने वाले ने स्वर्गदूत भी थे। बताया जाता है कि उन्होने सदाबाहर फर को सितारों से रोशन किया था। तब से ही सदाबहार क्रिसमस फर के पेड़ को क्रिसमस ट्री के रूप में मान्यता मिली।

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सांता क्लॉज : Santa Claus

पौराणिक और ऐतिहासिक दृष्टि से वे लोक कथाओं में प्रचात एक व्यक्ति हैं। कई पश्चिमी संस्कृतियों में ऐसा माना जाता है कि सांता क्रिसमस की पूर्व संध्या, यानि 24 दिसम्बर शाम या देर रात के समय के दौरान बच्चों के घरों में आकर उन्हें उपहार देता है। सांता की आकृति की व्युत्पत्ति सिंटटक्लास की डच आकृति से हुई जिसे उपहर देने वाले सेंट निकोलस से सम्बंधित माना जाता है। इस दिन तोहफों का आदान प्रदान किया जाता है।

यह एक मोटे, हंसमुख सफेद दाढ़ी वाले आदमी के रूप में चित्रित है, सफेद कॉलर, कफ वाला लाल कोट पहनता है, काली बेल्ट और बूट पहनता है। यह छवि संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में 19 वीं सदी में लोकप्रिय हो गयी सांता क्लॉज अपनी पत्नी श्रीमती क्लॉज के साथ रहता है। एक और लोककथा जो गीत “ सांता क्लॉज इस कमिंग टू टाउन” में प्रचात है, पूरी दुनिया के बच्चों को क्रिसमस की पूर्व संध्या वाली रात उपहार देता है।

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24 दिसम्बर रात से ही ‘ हैप्पी क्रिसमस ट्ट मेरी क्रिसमस ’ से बधाइओं का सिलसिला जारी हो जाता है।

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