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MSME Full Form, नई परिभाषा, पात्रता और रजिस्ट्रेशन से संबंधित जानकारी पाएं हिंदी में

MSME Full Form |MSME New Definition | MSME Loan Scheme | MSME Loan Eligibility |Types of MSME| MSME Registration Process से संबंधित जानकारी पाएं हिंदी में – दोस्तों आज SarkariExamHelp आप सभी पाठकों के समक्ष MSME से सम्बंधित जानकारी शेयर कर रहा है. आज आप इस लेख के माध्यम से MSME क्या है?, Registration Process, इसके लाभ, MSME Loan Required Documents तथा इससे सम्बंधित जानकारी बताने जा रहे है. प्रतियोगी छात्रों तथा MSME से सम्बंधित जानकारी चाहने वालो के लिए यह पोस्ट बहुत महत्वपूर्ण है. हमने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) से जुडी तमाम जानकारी Point to Point बताया है.

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अवश्य पढ़ें:

MSME क्या है – MSME kya hai

MSME ka Full Form kya hai, New Definition और Registration Process से संबंधित जानकारी पाएं हिंदी में
MSME ka Full Form kya hai, New Definition और Registration Process से संबंधित जानकारी पाएं हिंदी में

निवेश और टर्नओवर के आधार बंटे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम को ही Short में MSME कहा जाता हैं.

MSME का फुल फॉर्म (MSME Full Form) – Ministry of Micro, Small and Medium Enterprises होता है.

हिंदी में MSME को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय कहा जाता है. MSME भारत के केंद्र सरकार  के तहत आने वाली इकाई है.

MSME 2005 में अस्तित्व में आया था. सबसे पहले 12 मई 2005 को संसद में एक बिल पेश किया गया. इसका नाम सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास बिल – 2005 था. इस बिल के संसद में पास होने के बाद तथा राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह एक कानून बन गया था. इस कानून को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 के नाम से जाना जाता है.

तब MSME को दो भाग में बांटा गया था –

  • विनिर्माण क्षेत्र
  • सेवा क्षेत्र

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 के बनते ही विनिर्माण क्षेत्र और सेवा क्षेत्र में कंपनियों को प्लांट और मशीनरी में निवेश के आधार पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम में बांटा गया था. इसके बाद इस कानून में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम की परिभाषा में 7 अप्रैल 2018 को बदलाव किया गया. इस बदलाव के तहत इनकी परिभाषा प्लांट और मशीनरी में निवेश के आधार न करते हुए केवल टर्नओवर के आधार पर तय किया गया था.

अब एक बार फिर MSME की परिभाषा में बदलाव करने का फैसला किया गया है. 13 मई 2020 को भारत की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की, की अब सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम की परिभाषा फिर से तय की जाएगी. वह परिभाषा अब निम्नलिखित होगी –

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम की नई परिभाषा 2020 – New definition of MSME 2020

MSME परिभाषा 2020 के अनुसार विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के लिए एक ही मानक तय किए गए हैं. इस तरह अब विनिर्माण क्षेत्र और सेवा क्षेत्र में अंतर खत्म हो गया है. 2018 की परिभाषा केवल टर्नओवर के आधार पर तय की गई थी. लेकिन MSME परिभाषा 2020 में एक और बदलाव करते हुए अब उद्योगों की परिभाषा तय करने के लिए इसमें टर्नओवर के साथ – साथ निवेश को भी जोड़ा जाएगा.

ClassificationInvestment (निवेश)Turnover
सूक्ष्म उद्योग1 करोड़ से कम5 करोड़ से कम 
लघु उद्योग10 करोड़ से कम50 करोड़ से कम
माध्यम उद्योग20 करोड़ से कम100 करोड़ से कम

MSME Definition 2020 निम्नलिखित है –

  • सूक्ष्म उद्योग (Definition of Micro Industries 2020) – इसके तहत ऐसे उद्योगों को रखा गया है जिसमें निवेश 1 करोड़ से कम तथा टर्नओवर 5 करोड़ से कम है.
  • लघु उद्योग ( Definition of Small Industries 2020) – ऐसे उद्योग जिसमें निवेश 10 करोड़ से कम तथा टर्नओवर 50 करोड़ से कम होगा, इसे सूक्ष्म उद्योग यानी Small Industries कहा जाएगा.
  • मध्यम उद्योग ( Definition of Medium Industries 2020) – ऐसे उद्योग जिसमें निवेश 20 करोड़ से कम तथा टर्नओवर 100 करोड़ से कम होगा, उन्हें मध्यम उद्योग यानी Medium Industries कहा जाएगा.

MSME के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे करें – Msme online registration kaise kare

Ministry of Micro, Small and Medium Enterprises (MSME) के तहत कंपनियों को सरकार की ओर से काफी सहूलियत दी जाती है. सरकार द्वारा दिए जाने वाले लाभ पाने के लिए पहले अपने उद्योगों को MSME के साथ रजिस्टर करना पड़ता है. MSME Registration Process निम्नलिखित है –

  • MSME में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया बेहद आसान है. इसके लिए व्यक्ति ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों माध्यम से रजिस्ट्रेशन करा सकता है. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए MSME के आधिकारिक वेबसाइट (https://msme.gov.in/) पर जाकर फॉर्म भरकर सब्मिट करना होता है. वेबसाइट द्वारा मांगी गई सभी जानकारी देने के बाद और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने के बाद इसे वेबसाइट पर सबमिट करना होगा.
  • मांगी गई सभी जानकारी देने के बाद उसकी जांच की जाएंगी. जांच के बाद सब कुछ सही पाए जाने पर आपकी कंपनी MSME के तहत रजिस्टर हो जाएगी. इसके बाद आपको मंत्रालय की ओर से आवश्यक दस्तावेज भी दे दिए जाएंगे.

MSME रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज – Documents Required for MSME Registration

आपको बता दें कि MSME में रजिस्ट्रेशन के लिए किसी प्रकार की फीस देने की आवश्यकता नहीं होती है. हालांकि रजिस्ट्रेशन के लिए आपको कुछ डॉक्यूमेंट देने होंगे जो निम्नलिखित हैं-

  1. बिज़नेस एड्रेस प्रूफ
  2. सेल बिल और पर्चेस बिल की फोटोकॉपी
  3. पार्टनरशिप की स्तिथि में पार्टनरशिप के सुबूत. अगर एक पार्टनरशिप वाली कंपनी पहले से ही रजिस्टर है तो उसका सर्टिफिकेट
  4. उद्योग के लिए खरीदी गई मशीनरी के लाइसेंस और बिल
  5. आधार नंबर
  6. उद्योग का नाम
  7. आपका एड्रेस प्रूफ
  8. बैंक अकाउंट डिटेल्स
  9. पैन कार्ड
  10. कैसिंल चेक

MSME में रजिस्ट्रेशन के लिए शर्तें –

ऐसा नहीं है कि कोई भी कंपनी MSME के तहत रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन कर सकती है. बल्कि सरकार की ओर से इस में रजिस्ट्रेशन के लिए कुछ शर्ते रखे गए हैं. इसके तहत विनिर्माण सेक्टर में उन कंपनियों को ही MSME के तहत रजिस्ट्रेशन करने की अनुमति होगी जिसका निवेश प्लांट और मशीनरी में 10 करोड़ से कम होगा. इसी तरह सेवा क्षेत्र के लिए मशीनरी और प्लांट में निवेश 5 करोड़ रूपए होने चाहिए.

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MSME में रजिस्ट्रेशन के लाभ – Benefits of MSME Registration

MSME में रजिस्ट्रेशन के बाद मिलने वाले लाभ इस प्रकार हैं –

  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) में रजिस्टर्ड होने के बाद जो सबसे बड़ा फायदा है वह यह है कि कंपनियों को सस्ता लोन मिलता है. ये लोन आम तौर से मिलने वाले लोन से 1 से 1.5 प्रतिशत तक सस्ते होते हैं.
  • बैंक काफी कम समय में ही लोन पास करते हैं और ऐसी कंपनियों के लोन को बैंको द्वारा प्राथमिकता दी जाती है.
  • MSME के तहत कंपनियों को सरकार की ओर से Tax में कई तरह के छूट दी जाते हैं.
  • सरकार की ओर से कई ऐसे टेंडर निकाले जाते हैं जो केवल MSME के तहत का रजिस्टर्ड कंपनियों को ही दी जाती है.
  • ISO सर्टिफिकेट पर आने वाले खर्च पर सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाता है.
  • MSME के तहत रजिस्टर्ड कंपनियों को लाइसेंस लेना और किसी भी चीज़ के लिए रजिस्ट्रेशन कराना आसान हो जाता है.
  • कंपनी में लगने वाले ऑटोमेटिक मशीनों पर सरकार की ओर से 15 प्रतिशत तक इम्पोर्ट सब्सिडी दी जाती है.
  • किसी भी पेटेंट रजिस्ट्रेशन पर सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है.
  • सरकार की ओर से आवश्यकता के अनुसार आर्थिक मदद भी दी जाती है.

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