23 जनवरी 2024 स्वतंत्र सेनानी नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की 127वीं जयंती / 23 January 127th jayanti of independent fighter Netaji Subhash Chandra Bose

23 January 127th jayanti of independent fighter Netaji Subhash Chandra Bose in Hindi नेताजी सुभाषचन्द्र बोस एक बड़े स्वतंत्रता सेनानी थे। उन का जन्म 23 जनवरी 1867 में उडीसा के कटक शहर में हुआ था। सभी लोग उन्हें प्यार से नेताजी कहकर बुलाते थे। भारत देश एवं भारतीयों को British शासन के गुलामी से मुक्त करने का सुभाषचन्द्र बोस का प्रमुख लक्ष्य था। सुभाषचन्द्र बोस ने Japan, Burma आदि विभिन्न देशों में रहने वाले भारतीयों को देश की आजादी के लिए सुभाषचन्द्र बोस ने भारत की सर्वोच्च प्रशासनिक सेवा को नकार दिया। आजाद हिंद फौज में सुभाषचन्द्र बोस ने सभी संप्रदायों के लोगों को शामिल किया एवं आजाद हिंद फौज के दरवाजे सभी के लिए खुले रहते थे।

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 नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की 127वीं जयंती

netaji subhash chandra bose jayanti
23 जनवरी स्वतंत्र सेनानी नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की 127वीं जयंती

सुभाष चन्द्र बोस 1920 में सिविल सेवा परीक्षा पास की लेकिन देश के कार्य को प्राथमिकता दी. 1923 में वे कलकत्ता के महापौर निर्वाचित हुए लेकिन शीघ्र ही गिरफ़्तार कर मांडले जेल भेज दिए गए. 1938 में कांग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन में अध्यक्ष नियुक्त किये गए. वे अपने मित्र भगत राम के साथ काबुल चले गए और फिर वहां से हिटलर से मिलने जर्मनी चले गए. उन्हें पहली बार जर्मनी में नेताजी संबोधित किया गया था.

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नेताजी सुभाषचन्द्र बोस इतिहास के उन चरित्रों में से हैं जिन्होंने दिल की गहराई से आजादी के सपने देखे थे। नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के सपने थेः-

  • पहला स्वप्न था – सभी संप्रदायों के साथ मिलकर स्वयं की एक फौज हो, वह सपना उन्होने पूरा किया।
  • दूसरा स्वप्न था – Japan, Burma आदि देशों मे रहने वाले भारतीयों को एकत्र कर “आजाद हिंद फौज” की स्थापना की। एवं सरकार बनाई आज सरकार बन चुकी है।
  • तीसरा सपना – स्वाधीनता प्राप्त कर अंग्रेजों को भारत से निकाल बाहर करने का।

नेताजी ने एक नारा दिया थाःतुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा “

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस फौज के सेनापति बनेः-

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस फौज के सेनापति बनकर फौज का नेतृत्व किया – और कहा कि

  • मैं भारतीयों के हितों को अपने हाथों में सुरक्षित रखते हुए अपने कर्तव्य को पूरा करुँगा।
  • देश में पूर्ण स्वतंत्रता स्थापित करने के लिए एक स्थायी सेना का निर्माण करना है।
  • हमारा एक ही नारा है और एक ही लक्ष्य है,-भारत की आजादी और उसके लिए करो या मरो की भावना”

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने अपने ओजस्वी भाषणों के व्दारा भारतवासियों को प्रेरणा प्रदान कीः-

देशवासियों और मित्रों, आइए हम स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करें, भारत की सीमाओं के अंदर और बाहर अपनी पूरी ताकत के साथ। हमें तब तक जंग जारी रखनी है, जब तक British साम्राज्य नष्ट नहीं हो जाता है, इसके पश्चात ही एक स्वतंत्र प्रभुसत्ता सम्पन्न राष्ट्र बनेगा।

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस दयालु, परोपकारी, व उदारता वाले थेः-

सुभाषचन्द्र बोस अपने और पराए को दुखी करने के बजाय उनका दर्द दूर करते थे। सुभाषचन्द्र बोस जब विद्यालय जाया करते थे तो मां उन्हें खाने के लिए भोजन दिया करती थी। वहीं उनके विद्यालय के पास एक बूढ़ी औरत रहती थी। वह बहुत बीमार थी। अपने लिए भोजन भी नही बना सकती थी, इसलिए प्रतिदिन सुभाषचन्द्र बोस अपने भोजन में से कुछ भोजन उस बीमार बूढ़ी औरत को दे दिया करते थे। पूरे दस दिनों तक सुभाषचन्द्र बोस ने उस बुढिया की मन से सेवा की और वह ठीक हो गई। उनकी विशाल ह्दयता और बड़ी सोच थी।

General FAQs

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी सन् 1897ई. को कटक (उड़ीसा) में हुआ था।

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का एक मात्र लक्ष्य क्या था?

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का एक मात्र लक्ष्य भारत की आजादी और उसके लिए “करो या मरो की भावना”।

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने कौन सा नारा दिया था?

नेताजी ने एक नारा दिया थाः- “ तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा “।

सुभाष चंद्र बोस का सर्वप्रथम नेताजी किसने कहा था?

एडोल्फ हिटलर


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