Plasma Therapy in Hindi – Is Plasma Therapy An Effective Option To Fight Covid-19? – कोरोना वायरस का प्रकोप अपने चरम पर है और वैक्सीन मिलनें की उम्मीद अभी नज़र नहीं आ रही है. कोविड-19 से निपटने के लिए अन्य विकल्पों की कोशिश में सफलता हासिल करने के लिए अन्य विकल्पों का परीक्षण किया जा रहा है. प्लाज्मा थेरेपी (Plasma Therapy) जितना सही तरीका है उतना ही यह जोखिम वाला भी है, प्लाज्मा थेरेपी सफल होने के लिए कई देश दिन-रात काम कर रहे हैं.
यहां वे मरीज जो कोविड-19 से संक्रमित थे वे लोग अपने रक्तदान करने के लिए खुद से आगे बढ़े. जिनमें अब एंटीबॉडीस हैं. इन एंटीबॉडीस को फिर उन लोगों में प्रवेश किया जाता है जिनका इलाज चल रहा है. अगर यह काम करता है तो यह एक अच्छा प्रयोग होगा और इसी तरह की बीमारियों के इलाज के संभावित उपचारों में से एक बन जाएगा.
- विभिन्न चिकित्सा उपचारों की खोज में एंटीडोट का विकास प्रमुख महत्व रखता है.
- इस थेरेपी के लिए परीक्षण को अंजाम देने के लिए एक प्रटोकॉल होना चाहिए.
- जो अतीत में प्रयोगात्मक रुप से उपयोग किया गया था,यह उन हजारों संक्रमित लोगों के लिए उम्मीद की किरण ला सकता है.
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एंटीबॉडीस का उपयोग किन लोगों के उपर किया जाता है (What are the antibodies used on?)
इस प्लाज्मा थेरेपी में कोविड-19 से उभरने वाले व्यक्ति के एंटीबॉडीस का उपयोग किया जाता है.वे इसका उपयोग उन मरीजों के उपचार के लिए करेंगे जो कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित है.
- स्वास्थ्य कार्यकर्ता जो लंबे समय से संक्रमित मरीजों के करीब है जैसे-नर्स. डाक्टर. सफाई वाला आदि.
- संक्रमित मरीजों के परिवार और अन्य उच्च जोखिम (Higher risk) वाले संपर्क पर भी करेंगे.
- ठीक हुए मरीज के खून में एंटीबॉडीस मौजूद हैं जो वायरस से लड़ने की क्षमता रखते है,यह वायरस से जूझ रहे मरीजों के लिए उपयोगी है.
- एक बार जब यह प्लाज्मा कोरोना वायरस से प्रभावित व्यक्ति में इंजेक्ट हो जाता है, तो वे वायरस से बेहतर तरीके से लड़ने के लिए तैयार हो जाते है.
ठीक हुए लोगों को अपने रक्त का दान देना एक अभिप्राय है.परंतु उनमें से कई लोग ठीक होने के बाद वापस अस्पताल नहीं जाना चाहते हैं लेकिन फिर भी डॉक्टर को प्रोटोकॉल के अनुसार प्रक्रिया में शामिल जोखिमों को बताना होगा. जिसे कई लोग सुनकर या समझकर भी डर कर पीछे हट जाते है उन्हे डॉक्टर ही सही से समझा सकते है.
Extraction Process is safe:
ठीक हुए मरीज किसी भी जोखिम में नहीं रहेंगेः
- केवल थोड़ा सा रक्त लिया जाएगा,और फिर उसमे से प्लाजा निकाला जाएगा .
- यह आमतौर पर रक्त का तरल हिस्सा होता है.
- जिनमें वह एंटीबॉडीस होते है वे इस उपचार के लिए उपयोगी होते है.
- जिसे रोगी के शरीर में प्रवेश( inject) किया जाता है.
- एंटीबॉडीस पूरे शरीर में फैल जाएगी और ऊतकों कोशिकाओं (Tissues) तक पहूंच जाएगी एंव संक्रमित रोगियों में वायरस से लड़ने में मदद करेगी और साथ ही उन एंटीबॉडीस को दोहराएगी।
- जो शरीर में प्रवेश कर चुकी है.यह संक्रमण के खिलाफ आवश्यक सुरक्षा प्रदान करने में मदद करेंगे.
- एंटीबॉडीस की मात्रा एक निश्चित अवधि पर कुछ हफ्तों या महिनों के लिए सुरक्षा प्रदान करेगी.
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कोविड 19 के लिए यह एक स्थाई इलाज क्यों नहीं है (Why this is not a Permanent Treatment for Covid-19):
ये ज्ञात रहे की प्लाज्मा थेरेपी एक अप्रतिरोधी प्रक्रिया है. पूर्ण इलाज के लिए नहीं है. चूंकी हमारा शरीर प्राकृतिक रुप से प्रतिरोधी कोशिकोओं का निमार्ण करता है. इस तरह से कोरोना से ग्रसित और फिर स्वस्थ हुए व्यक्ति के खून से उपस्थित प्लाज्मा से लाभ मिलने की संभावना जरुर है. तथापी उस व्यक्ति के अन्य बिमारियों से संक्रमित खून की जांच भी अत्यावश्यक है. इससे कितना लाभ मिलेगा.अथवा कितने समय तक लाभ मिलेगा इसकी कोई गारंटी (Guarantee) नही रहेगी.
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