PMLA का फुल फॉर्म हिंदी में और इसका राजनीतिकरण किस तरह किया जा रहा है, इस पर विचार

पीएमएलए का फुल फॉर्म क्या है? इसके बारे में चर्चा इस आर्टिकल में कर रहे हैं, इसके साथ ही पॉलिटिक्स में इसका प्रयोग किस तरह से किया जा रहा है। ‌हम यह नहीं कहते कि हमारे विचार से आप सहमत रहे लेकिन विचारों की अहमियत पत्रकारिता में सबसे बड़ी होती है। ‌लोकतांत्रिक व्यवस्था में कानून बहुत जरूरी है। ऐसे में PMLA कानून क्या है? इसके बारे में चर्चा भी करेंगे। यह आर्टिकल आपको कहीं भाषण देने, निबंध लिखने और अनुच्छेद में अपने विचार प्रस्तुत करने में सहायता करती है। ‌

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PMLA का फुल फॉर्म 

इसे हिंदी में धन शोधन निवारण अधिनियम कहा जाता है। यह कानून संसद में सन 2002 में बना थाPrevention of Money Laundering Act, 2002 के अनुसार काली कमाई को सफेद करने से रोकता है। इस तरह का धन यदि सरकार को प्राप्त होता है तो कानून के प्रावधानों के अंतर्गत उसे धन को जप्त करने का अधिकार सरकार को प्राप्त हो जाता है।

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कहीं कानून का राजनीतिकरण लाभ तो नहीं

देखिए चुनाव आने वाले हैं। ऐसे में धन-शोधन निवारण अधिनियम कानून के तहत काली कमाई को सफेद करने वाले पर ईडी के द्वारा लगाम लगाई जा रही है। एक जानकारी के मुताबिक आपको बता दे कि पिछले साल 31 जनवरी, 2023 तक पीएमएलए कानून के अंतर्गत लगभग 6000 मामले दर्ज किए गए थे जिसमें तकरीबन साडे 15 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति एड द्वारा जप्त की गई थी। ‌इसमें 176 ऐसे लोग थे, जो मौजूदा या पहले सांसद, विधायक (जनप्रतिनिधि) रह चुके हैं। इनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। आप समझ सकते हैं कि राजनीतिक दलों में ही खुद ही गंदगी है। ‌दो-चार गिनती के ईमानदार नेता को छोड़कर बाकी इस तालाब में सभी गंदी मछली है। जब इन पर कार्रवाई शुरू हो जाएगी तो इस भेदभाव का आरोप लगाते हुए सरकार को ताना देना शुरू कर देंगे। लेकिन दूसरी तरफ से यह भी बात आएगी कि आखिरकार सत्ता पक्ष से जुड़े लोगों को क्यों बख्श दिया जाता है। यह बात भी कुछ हद तक सही है। कुछ नेता नेतागिरी को धन कमाने का जरिया समझ बैठे हैं। ‌

PMLA Full Form

काली कमाई पर लगाम लगाना सरकार के संस्थानों का काम है। लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि जब-जब कार्रवाई होती है तो चुनाव का मौसम भी होता है। आपको क्या लगता है कमेंट करके जरूर बताइए।

बहरहाल आरोप प्रत्यारोप का यह सिलसिला चलता रहेगा। अगर इस कानून का सही उपयोग करके संदिग्ध संस्था और व्यक्तियों पर कार्रवाई की जाए तो भारत में भ्रष्टाचार की जड़े हिल जाएंगे और चारों तरफ ईमानदारी का साम्राज्य हो जाएगा। आम लोगों का जीवन भी सुधर जाएगा क्योंकि भ्रष्टाचार के कारण उनके हिस्से की कमाई काली कमाई करने वाले ले जाते हैं। ‌

इसके लिए एक मजबूत राजनीतिक इच्छा शक्ति की आवश्यकता राजनीतिक दलों में होना जरूरी है। कोई व्यक्ति या संस्था यदि गलत तरीके से संपत्ति अर्जित करता है और उसे सफेद करना के फिराक में है। यानी अपनी काली कमाई को सुरक्षित करने के लिए उसे विभिन्न माध्यम में मनी लॉन्ड्रिंग करता है। ‌ ऐसे लोगों को गुप्त रूप से पहचान करके उन पर कार्रवाई होना चाहिए। ‌

प्रवर्तन निदेशालय ईडी तीन अध्ययन के अंतर्गत किसी भी संदेश व्यक्ति यह संस्था पर कार्रवाई कर सकता है यह तीन कानून निम्नलिखित है-

  • पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम)
  • फेमा
  • एफईओए

आपको बता दे इस कानून के अंतर्गत निम्नलिखित लोग आते हैं-

केंद्र सरकार का मानना है कि काले धन पर रोक लगाने के लिए इस बारे में चार्टर्ड अकाउंटेंट, कंपनी सेक्रेटरी और कॉस्ट अकाउंटेंट की लेनदेन पर भी नजर रखनी जरूरी है।

PMLA यानी धन शोधन निवारण अधिनियम 2002

इस अधिनियम के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी। यदि कोई व्यक्ति या संस्था अवैध रूप से काली कमाई करता है तो उसे रोकने के लिए सरकार PMLA के द्वारा कार्रवाई करके काले धन को सफेद करने यानि मनी लाड्रिंग करने से रोकता है। जरूरत पड़ने पर किस तरह के पैसे को जप्त भी किया जा सकता है। ‌आपकी जानकारी के लिए बता दे कि काले धन को सफेद करना यानी मनी लॉन्ड्रिंग एक अपराध है।

अब यह सवाल आ रहा है कि काली कमाई को किस तरीके से अच्छी वाली कमाई में यानी कि मनी लॉन्ड्रिंग करके उसे साफ सफेद कमाई में कैसे बदल दिया जाता है। तो आपको बता दे कि किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा गलत तरीके से इनकम को किसी और तरीके से इसे सही इनकम बनाकर कमाई बता दी जाती है।  इसी पर लगाम लगाने के लिए पीएमएलए कानून लाया गया है।

आर्टिकल सारांश

अवैध रूप से कमाए गए किसी व्यक्ति संस्था द्वारा धन जिसे काला धन कहा जाता है। इसे आपराधिक धन भी कहा जासकता है। क्योंकि अपराध करके धन कमाया गया है। फिर इस धारकों का संस्था या व्यक्ति मनी लॉन्ड्रिंग द्वारा इसे साफ सुथरा इनकम बनाने की कोशिश करता है। मनी लॉन्ड्रिंग करना एक कानूनी अपराध है। इस कानून का उपयोग करके ऐसे अपराधी गतिविधियों में संलग्न लोगों पर कार्रवाई कर दिया जाता है।

कुछ फैक्ट फाइल

  • PMLA यह अधिनियम 17 जनवरी 2003 को संसद में पारित किया गया।
  • इसके बाद राष्ट्रपति की अनुमति के बाद यह 1 जुलाई 2005 से लागू हुआ।
  • समय के साथ इसमें कई तरह के संशोधन भी किए गए।
  • इस अधिनियम के लागू होने के बाद साल 2009, 2012 और 2018 में हम संशोधन किया गया था।

पाठक के लिए प्रश्न

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि काली कमाई पर रोक लगाने से ही भारत में भ्रष्टाचार दूर हो सकता है। ‌ भ्रष्टाचार दूर करने के बात चुनाव में राजनीतिक दल अक्सर करती रही है। लेकिन खुद की राजनीतिक पार्टी में कितना भ्रष्टाचार है, उसको उजागर करने पर बचती रही है।

यहां नज़र डालेंगे तो हर राजनीतिक दल में गंदगी आपको जरूर दिखाईदेगी। जब सत्ता पक्ष को अपने पार्टी के नेताओं  पर कार्रवाई करने की बात आती है तो उल्टे पांव क्यों यह चलने लगते हैं। ‌ चुनाव के मौसम में कौन सा डर हो जाता है की धड़ाधड़ भ्रष्टाचार पर कार्रवाई होती है। जबकि पूरे 4 साल इस पर मौन रहा जाता है।

आखिरकार राजनीतिक दल अपने चंदे के बारे में स्रोत क्यों नहीं बताती है। बड़े-बड़े बिजनेसमैन आखिरकार किसी राजनीतिक दल को चंदा क्यों देते हैं? क्या उनकी सरकार बनने के बाद उनसे कुछ फायदा लेना होता है। किस तरह के जनता के मन में उठने वाले सवाल ना अखबार के पन्नों में नजर आता और न ही टीवी मीडिया के स्क्रीन पर।

बेरोजगारी भ्रष्टाचार महंगाई गरीबी शोषण अत्याचार पर्यावरण संरक्षण यह सब मुद्दा चुनाव से क्यों गायब हो जाता है?


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Author

  • Sujata Pandey

    Sujata Pandey has completed her Master of Social Work (MSW) and works as an editor and writer with SarkariExamHelp.com and other educational portals. With 6 years of experience, she is passionate about writing on topics related to Sarkari Yojana, government jobs, and the latest news. Currently, she covers a wide range of subjects related to education, social welfare, and jobs.

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