जानिये क्या होता है विशेष राज्य का दर्जा होने का मतलब और बिहार, आंध्र प्रदेश ने केंद्र से विशेष राज्य के दर्जे की क्यों मांग की

18 वीं लोकसभा के चुनाव के बाद बीजेपी से गठबंधन के दौरान आपने विशेष राज्य के दर्जे की मांग को सशक्त आवाज में सुना होगा। क्या आप जानते हैं? कि क्या है विशेष राज्य? क्यों इसकी मांग इस समय की जा रही है? आंध्र प्रदेश और बिहार राज्य विशेष राज्य का दर्जा क्यों चाहते हैं? तथा इसके क्या फायदे हैं?

vishesh rajya ka darja

आज इस लेख में विशेष राज्य का दर्जा क्या होता है इस विस्तार पूर्वक बताने जा रहे है। आंध्र प्रदेश में लोकसभा के साथ विधानसभा के लिए भी चुनाव हुए हैं। आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग के दशक से भी अधिक समय से की जा रही है। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा किया था। किंतु 14वीं लोकसभा में भाजपा द्वारा सरकार बनने पर इस वादे को याद दिलाया जा रहा है। साथ ही बिहार में भी विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग होती है। यह मांग होती आ रही है।

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वर्तमान में भारत में 11 राज्यों को विशेष राज्य की श्रेणी का दर्जा प्राप्त है

राज्य कब मिला विशेष राज्य का दर्जा
जम्मू-कश्मीर 1969
असम 1969
नागालैंड1969
हिमाचल प्रदेश 1971
मणिपुर1972
मेघालय1972
त्रिपुरा1972
सिक्किम1975
अरुणाचल प्रदेश1975
मिजोरम1975
उत्तराखंड 2001

विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त होने से राज्य को क्या-क्या फायदा होता है?

अन्य राज्यों की अपेक्षा विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त राज्यों को केंद्र से मिलने वाली सहायता में कई लाभ जुड़े होते हैं। वित्त आयोग द्वारा राज्यों को दी जाने वाली राशि 41 फ़ीसदी प्राप्त होती है। केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं के मामले में विशेष दर्जा रखने वाले राज्यों को 90% धनराशि प्रदान की जाती है जबकि अन्य राज्यों के मामले में यह अनुपात 60 से 70 फीसदी है।

इन सबके अलावा विशेष श्रेणी का दर्जा प्राप्त राज्यों को सीमा शुल्क और उत्पादन शुल्क आयकर और कॉरपोरेट कर में भी काफी रियायतें मिलती है। इन राज्यों को देश के सकल बजट का 30% हिस्सा प्राप्त होता है। सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात है कि यदि ऐसे राज्य को मिलने वाली धनराशि बच जाती है तो उसका उपयोग अगले वित्तीय वर्ष में किया जा सकता है। इससे विशेष दर्जा प्राप्त राज्य को अर्थव्यवस्था में लाभ प्राप्त होता है।

क्यों चाहिए विशेष राज्य का दर्जा?

किसी भी राज्य का बंटवारा होने के बाद प्राकृतिक संसाधनों और समृद्धि पर इसका काफी गहरा असर होता है। जिससे किसी एक राज्य की अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है। जैसे 2014 में आंध्र प्रदेश राज्य को दो राज्यों में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के रूप में विभाजित किया गया। उसे आंध्र प्रदेश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई। आंध्र प्रदेश के वित्तीय केंद्र राजधानी हैदराबाद को तेलंगाना के हिस्से में देने के बदले पांच वर्षों के लिए विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा हुआ । जिसे अब तक पूरा नहीं किया गया। इसीलिए आंध्र प्रदेश बार-बार विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त करने की मांग उठता है।

सन 2002 में तत्कालीन बिहार को दो राज्यों बिहार और झारखंड में विभाजित कर दिया गया था। प्राकृतिक संसाधनों में झारखंड समृद्ध होने के साथ अलग हुआ।  जिसकी वजह से बिहार की अर्थव्यवस्था डगमगा गई। बिहार देश के सबसे गरीब राज्यों में से एक है। साथ ही बिहार की बड़ी आबादी को स्वास्थ्य शिक्षा और बुनियादी ढांचे तक पहुंचे और उसकी पकड़ मजबूत नहीं है। जिससे उसकी वित्तीय बोझ काफी बड़ा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग दशक से होती आ रही है।

SCS की मांग होने के पीछे का तर्क

ऐतिहासिक और संरचनात्मक चुनौतियां का सामना कर रही बिहार जिसमें औद्योगिक विकास की कमी और सीमित निवेश है। साथ ही राज्य के उत्तरीय क्षेत्र में हमेशा बाढ़ और दक्षिणी क्षेत्र में हमेशा सुख जैसी स्थिति रहती है। इस तरह से प्राकृतिक आपदाओं से बिहार हमेशा प्रभावित रहता है। कृषि गतिविधियों को भी यह आपदाएं प्रभावित करती हैं बिहार में गरीबी की दर बहुत अधिक है राज्य विभिन्न मानव विकास सूचकांकों में भी पिछड़ा हुआ है।


महत्वपूर्ण बिंदु

  • राज्यों के विकास में सहायता के लिए 5वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर 1969 में विशेष श्रेणी का दर्जा दिया गया।
  • मानदंडों में पहाड़ी क्षेत्र, कम जनसंख्या घनत्व, जनजातीय आबादी, रणनीतिक अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ, आर्थिक और बुनियादी ढाँचा पिछड़ापन और गैर-व्यवहार्य राज्य वित्त शामिल हैं।
  • वर्तमान में, अरुणाचल प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर सहित भारत के 11 राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा प्राप्त है।

विशेष दर्जा न मिलने के पीछे का कारण

संविधान में विशेष राज्य के दर्जे के लिए किसी भी तरह का कोई प्रावधान नहीं है। यह एक वर्गीकरण के बाद वित्त आयोग की सिफारिश पर किया जाता है। विशेष राज्य उन्नत विधायक और राजनीतिक अधिकार प्रदान करता है जिसे केवल आर्थिक और वित्तीय पहेलियां से संबंधित है। उदाहरण के लिए अनुच्छेद 370 निरस्त होने से पहले कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था। 


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Author

  • Sujata Pandey

    Sujata Pandey has completed her Master of Social Work (MSW) and works as an editor and writer with SarkariExamHelp.com and other educational portals. With 6 years of experience, she is passionate about writing on topics related to Sarkari Yojana, government jobs, and the latest news. Currently, she covers a wide range of subjects related to education, social welfare, and jobs.

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